चुनाव के लिए प्रत्याशियों की ओर से दाखिल नामांकन पत्रों की जांच की वीडियोग्राफी कराई जाएगी। औपचारिकता पूरी न होने की वजह से अगर किसी का नामांकन खारिज किया जाता है तो उसका पक्ष सुनना होगा। रिटर्निंग ऑफीसर को इसे खारिज करने के आधार भी बताने होंगे। पत्रों की जांच आयोग के प्रेक्षकों की मौजूदगी में होगी।
संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनीता मेश्राम ने गुरुवार को बताया, पहले चरण के लिए दाखिल परचों की शुक्रवार को होने वाली स्क्रूटनी के लिए आयोग ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। रिटर्निंग ऑफीसरों को मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और अन्य प्रत्याशियों के प्रस्तावकों के विवरण की पूरी जांच करनी होगी। साथ ही नए प्रारूप में दाखिल हलफनामों को भी जांचना होगा। राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के लिए नामांकन पत्र के साथ अधिकृत प्रत्याशी होने संबंधी पार्टी की ओर से जारी फार्म ए और बी भी लगाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि अगर किसी पार्टी ने मुख्य और वैकल्पिक उम्मीदवार दोनों के नाम दिए हैं, तो मुख्य प्रत्याशी का नामांकन पत्र खारिज होने पर वैकल्पिक उम्मीदवार को अधिकृत प्रत्याशी माना जाएगा। अगर किसी दल ने दो उम्मीदवारों को फार्म ए और बी जारी किया है तो जिसने पहले नामांकन किया है उसे अधिकृत उम्मीदवार माना जाएगा।
जांच के दौरान प्रत्याशी, उसका चुनाव एजेंट, एक प्रस्तावक और एक अन्य व्यक्ति ही रिटर्निंग ऑफीसर के कार्यालय में मौजूद रहेगा। यदि किसी उम्मीदवार ने चार सेट में पर्चे दाखिल किए हैं तो सभी सेटों की जांच की जाएगी। नाम वापसी के लिए उम्मीदवार हस्ताक्षर करके देगा।
एजेंट की ओर से नाम वापसी का प्रस्ताव दिया जाता है तो उसके साथ प्रत्याशी का प्राधिकार पत्र होना जरूरी है। एक बार नाम वापसी का प्रस्ताव देने केबाद उसे वापस नहीं लिया जा सकेगा।