परदानशीं होकर और लुभाने लगीं माया की मूर्तियां

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 चुनाव आयोग के आदेश पर प्रदेश भर के हाथियों व मुख्यमंत्री मायावती की मूर्तियां परदानशीं होकर और भी लुभाने लगीं हैं। चुनाव आयोग के  आदेश से विरोधी दल भले ही अपनी पीठ थपथपा रहे हों लेकिन यह मूर्तियां अब और भी लोगों को आकर्षित कर रही हैं।

 

मुख्य निर्वाचन आयुक्त वाई एन कुरैशी ने गत 7 जनवरी को चुनाव के दौरान राज्य के विभिन्न चौराहों,पार्कों और उद्यानों में सुश्री मायावती तथा बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियों को ढकने का आदेश दिया था। इस बारे में कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मूर्तियों को लेकर राजनीतिक दलों का एतराज बेतुका है और चुनाव आयोग का इस बारे में फैसला अचरज भरा लगता है। यदि मूर्तियां चुनाव परिणामों को प्रभावित करतीं तो इसका सबसे अधिक लाभ कांग्रेस को होता क्योंकि देश के सबसे पुराने दल से जुड़े नेताओं की प्रतिमायें लगभग हर तीसरे चौराहे और पार्कों में नजर आती हैं।माना जा रहा है कि चुनाव आयोग के इस आदेश का फायदा यदि किसी दल को हो सकता है तो वह बसपा ही होगी क्योंकि पार्क और उद्यानों में लगी इन प्रतिमाओं पर लोगों की नजर इनकी बेजोड़ कारीगरी के अलावा बसपा द्वारा सरकारी धन के दुरुपयोग पर भी होती थी मगर अब मूर्तियों पर ढके पोलीथीन और प्लाईवुड ही बसपा की प्रचार सामग्री बन गये हैं।

जानकारों का कहना है कि मूर्तियों को ढकने का आदेश जारी करके चुनाव आयोग एक तरह से सत्तारूढ़ दल की मदद ही कर रहा है और विरोधी दलों का एतराज उनके गले की हड्डी बन सकता है। जिन प्रतिमाओं के स्थापन को लेकर वह बसपा पर निशाना साधते रहे उन्हीं को ढकवा कर चुनाव के समय मिलने वाले लाभ से वह वंचित हो सकते हैं।

बसपा को आयोग के फैसले का दोहरा लाभ मिल सकता है। एक तो पार्टी अपने परम्परागत मतदाताओं की आस्था और गहरा सकती है तथा ढकी मूर्तियां इंटरनेट और समाचार पत्रों समेत दूरसंचार के विभिन्न माध्यमों से प्रदेश ही नहीं दुनिया भर में सुर्खियां बटोरेगी जिसका लाभ परोक्ष या अपरोक्ष रूप से बसपा को मिलेगा