चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े करने वाले कानून मंत्री सलमान खुर्शीद की टिप्पणियों से नाराज मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी के शिकायती पत्र पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जवाबी पाती भेजकर साफ कर दिया है कि आयोग की स्वतंत्रता पर कोई भी सवाल खड़े नहीं कर सकता है। उन्होंने यह भी कह दिया है कि जिम्मेदारियों के निष्पादन में आयोग को पूरी आजादी है। चुनाव के दौरान विपक्षी पार्टियों को आयोग पर अंगुलियां उठाने का अवसर देने से पूर्व ही एक केंद्री मंत्री के अयोग से विवाद को नूरा कुश्ती की तरह भी देखा जा रहा है।
खुर्शीद की टिप्पणियों से नाखुश मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवाई कुरैशी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मामले में दखल देकर तस्वीर साफ करने की अपेक्षा की थी। प्रधानमंत्री ने तो संस्था की स्वतंत्रता का पूरा भरोसा देकर विवाद खत्म करने की कोशिश की है। लेकिन खुर्शीद ने अपनी टिप्पणियों की व्याख्या को गलत तरीके से लिए जाने पर ऐतराज जताया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने पीएम को लिखे खत की तो शुक्रवार को पुष्टि की लेकिन इसके शिकायती अंदाज में लिखे होने से इनकार किया। सूत्रों के अनुसार, खुर्शीद की टिप्पणियों के मद्देनजर इस पर सरकार का रुख साफ करने की अपेक्षा के साथ कुरैशी ने खत पीएम को भेजा था। सूत्रों का कहना है कि आयोग के सरकार के नियंत्रण में होने जैसे निहितार्थ वाला संदेश कानून मंत्री जैसे ओहदे पर बैठे शख्स की तरफ से आया था इसलिए भी कुरैशी पीएम का दखल चाहते थे।
गौरतलब है कि कुछ सार्वजनिक मंचों पर और फिर एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में खुर्शीद ने कुछ समय पहले कहा था कि कोई भी संस्था हो उन पर सरकार का कुछ न कुछ नियंत्रण तो रहता ही है। खुर्शीद ने कह दिया था कि चुनाव आयोग पर भी सरकार कुछ न कुछ नियंत्रण तो करती ही है। चुनाव आयुक्त की विदेश यात्रा की फाइल पर कानून मंत्रालय की मंजूरी देने का उदाहरण भी खुर्शीद ने दिया था।
आयोग के अधिकारियों का मानना है कि ऐन चुनाव के बीच कानून मंत्री की तरफ से उसकी स्वतंत्रता पर अंगुली उठाए जाने से जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं जा रहा था। कुछ ही दिनों में सियासी दलों की ओर से आयोग पर सरकार के इशारे पर काम करने के आरोपों की भी झड़ी लगनी शुरू होने का खतरा भी मुख्य चुनाव आयुक्त भांपने लगे थे। यही वजह है कि उन्होंने सीधे पीएम से आयोग की आजादी पर सवाल कर दिया।
सूत्रों के अनुसार सरकार के कुछ मंत्रियों का इस पर तर्क यह है कि सलमान खुर्शीद ने ऐसी टिप्पणी लोकपाल पर किसी का नियंत्रण नहीं होने की अन्ना हजारे की मांग को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में की थी। उन्होंने कहा था कि यहां तक कि चुनाव आयोग पर भी सरकार का कहीं न कहीं नियंत्रण तो होता ही है। इसकी व्याख्या आयोग ने दूसरे तरीके से की है।