गिरफ्तार हो सकते हैं बाबू सिंह कुशवाहा

Uncategorized

नई दिल्ली । मंगलवार को भाजपा में शामिल होने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ सीबीआइ का फंदा कस गया है। कुशवाहा को राज्य के 134 जिलों के पुनरोत्थान के लिए दिए गए ठेके में भ्रष्टाचार का आरोपी बनाया गया है। इसे मिलाकर जांच एजेंसी ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में भ्रष्टाचार की पांच नई एफआइआर दर्ज की है। इनमें सरकारी खजाने को कुल 28 करोड़ रुपये के नुकसान का आरोप लगाया गया है। जिसके चलते उनकी गिरफ्तारी की संभावना प्रबल हो गई है।

वैसे सीबीआइ ने साफ कर दिया है कि कुशवाहा के खिलाफ एफआइआर और उनके ठिकानों पर छापे का उनके भाजपा में शामिल होने से कोई लेना देना नहीं है। कुशवाहा मंगलवार को भाजपा में शामिल हुए हैं, जबकि सीबीआइ ने उनके खिलाफ सोमवार को ही एफआइआर दर्ज कर ली है। यही नहीं, कुशवाहा एवं अन्य आरोपियों के यहां तलाशी के लिए अदालत का सर्च वारंट मंगलवार की सुबह को ही ले लिया गया था। राजनीतिक आरोपों का राजनीतिक जबाव देते हुए सीबीआइ के एक अधिकारी ने कहा कि खुद भाजपा नेता किरीट सोमैया ने पिछले शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार से संबंधित लगभग एक हजार पन्नों के जो दस्तावेज जांच एजेंसी को दिए थे, उनमें कई कुशवाहा से संबंधित थे।

एफआइआर दर्ज करने के बाद सीबीआइ के लगभग 300 अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश दिल्ली, हरियाणा और मध्यप्रदेश के कुल 60 स्थानों पर एक साथ छापा मारा। इनमें तीन स्थान कुशवाहा से संबंधित हैं। उनके लखनऊ स्थित दो ठिकानों के साथ ही उनके एक निकट सहयोगी के ग्वालियर स्थित आवास की भी तलाशी ली गई है। जांच एजेंसी ने कुशवाहा समेत अन्य आरोपियों के यहां से अहम दस्तावेज बरामद होने का दावा किया है। यूपी जल निगम की इकाई कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेस के महाप्रबंधक पीके जैन के लखनऊ स्थित एक बैंक लॉकर से तीन किलो सोना एवं एक करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए हैं। पीके जैन को अस्पतालों के पुनरोद्धार के घोटाले में कुशवाहा से साथ आरोपी बनाया गया है।

कुशवाहा और पीके जैन के अलावा उप्र के पूर्व परिवार कल्याण महानिदेशक एसपी राम को भी एक मामले में आरोपी बनाया गया है। वैसे तो देर शाम तक राम को गिरफ्तार नहीं किया गया है, पर दोपहर को ही उन्हें सीबीआइ के लखनऊ स्थित कार्यालय में पूछताछ के लिए बुला लिया गया था। इनके अलावा इसमें निजी फर्मो और परिवार कल्याण महानिदेशक के अज्ञात अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है। इन सभी के खिलाफ अपने पद का दुरुपयोग करने और आपराधिक साजिश में शामिल होने के साथ ही विश्वासघात करने से संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।

सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिन मामलों में एफआइआर दर्ज की गई हैं, उनमें केंद्रीय सहायता की राशि परिवार कल्याण महानिदेशक कार्यालय के मार्फत भेजी जाती थी और यह सीधे तौर पर बाबू सिंह कुशवाहा के अधीन आता था। यही कारण है कि इन मामलों में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्रा का नाम कही नहीं हैं।

घोटाले और उनके आरोपी:-

1. योजना : 134 जिला अस्पतालों के 13.4 करोड़ की लागत से पुनरोद्धार -घोटाला : 5.46 करोड़

-आरोपी : बाबूसिंह कुशवाहा, पूर्व परिवार कल्याण मंत्री, पीके जैन, महाप्रबंधक, कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेस [उप्र जल निगम की एक इकाई]

-मेसर्स सर्जिकोइन, गाजियाबाद

2. योजना : 4.42 करोड़ की लागत से चिकित्सकीय उपकरणों की खरीद

-घोटाला : 1.5 करोड़

-आरोपी : एसपी राम, पूर्व महानिदेशक परिवार कल्याण, परिवार कल्याण महानिदेशक कार्यालय के अज्ञात अधिकारी, मेसर्स गुरुकृपा, मुरादाबाद, मेसर्स कपिल मेडिकल एजेंसी, मुरादाबाद

3. योजना : 13.7 करोड़ रुपये की लागत से होल्डिंग, बैनर आदि प्रचार सामग्री की खरीद

-घोटाला : आठ करोड़

-आरोपी : परिवार कल्याण महानिदेशक कार्यालय के अज्ञात अधिकारी, मेसर्स सिद्धि ट्रेडर्स, मुरादाबाद

4. योजना : 31.59 करोड़ की लागत से मेडिकल उपकरणों की खरीद

-घोटाला :10 करोड़

-आरोपी : परिवार कल्याण महानिदेशक कार्यालय के अज्ञात अधिकारी, मेसर्स सर्जिकोइन, गाजियाबाद

5. योजना : 8.11 करोड़ की राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी द्वारा उप्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम श्रीटोन इंडिया लिमिटेड के मार्फत कंप्यूटरों की खरीद

-घोटाला : 2.93 करोड़

-आरोपी : परिवार कल्याण महानिदेशक कार्यालय के अज्ञात अधिकारी, श्रीटोन इंडिया लिमिटेड के अज्ञात अधिकारी, मेसर्स राधेश्याम इंटरप्राइजेज, लखनऊ, मेसर्स एक्सिस मार्केटिंग, नोएडा/दिल्ली