माध्यमिक शिक्षा विभाग ने बनाई रणनीति
माध्यमिक शिक्षा विभाग की तैयारियों पर सही तरीके से अमल हो सका तो अबकी परीक्षार्थियों को परीक्षकों की लापरवाही की सजा नहीं भुगतनी होगी। मूल्यांकन नियमों में तमाम सुधार के बाद भी लापरवाही के कारण परीक्षार्थियों को स्टेप प्लस मार्किंग का पूरा लाभ नहीं मिल सका। सुधार के लिए नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) और काउंसिल ऑफ बोर्ड्स ऑफ स्कूल एजुकेशन (कॉब्से) से सलाह के बाद विभाग ने तय किया है कि जिन कापियों में 50 फीसदी से कम अंक होंगे, उनकी दोबारा जांच कराई जाएगी।
विभाग का कहना है कि परीक्षकों की गलती से किसी को कम अंक न मिलें, इसकी पूरी कोशिश होगी। कॉब्से के मू्ल्यांकन विशेषज्ञ, माध्यमिक शिक्षा विभाग के शासन स्तर के अधिकारी और माध्यमिक शिक्षा अभियान के अधिकारियों के बीच बैठक में तय किया गया है कि परीक्षकों को
दस-दस कापियों के बंडल दिए जाएंगे। परीक्षण के बाद उन्हें उप मुख्य परीक्षक (डीएचई) देखेंगे और जिन्हें भी 50 फीसदी से कम अंक मिलेंगे, उनकी कापियां बंडल से अलग कर दी जाएंगी। विषयवार ऐसी सभी कापियों की दोबारा जांच होगी।
डीएचई यह चेक कि परीक्षकों ने सभी सवाल चेक किए हैं या नहीं, चेक किए हैं तो उनके अंक जोड़े गए या नहीं। सब कुछ ठीक हुआ तो एक बार जबाव देखा जएगा कि उन पर और अंक देने की कितनी संभावना है।
अधिकारियों का कहना है कि पिछले वर्षों में जो गलतियां हुईं, उसकी समीक्षा में सामने आया कि नंबर जोड़ने और उत्तर पुस्तिका से एवार्ड ब्लैंक पर नंबर चढ़ाने में सर्वाधिक गलतियां हुईं। इसके सुधार के लिए इस बार अतिरिक्त परीक्षकों और उप मुख्य परीक्षकों की तैनाती की जाएगी। माध्यमिक शिक्षा अभियान के सह समन्वयक और उप शिक्षा निदेशक वीरेंद्र एस. चौधरी ने बताया कि एवार्ड ब्लैंक की गलतियां चेक करने को नया सिस्टम विकसित करने की कोशिशें हो रही हैं।