खाद्य सुरक्षा बिल को कैबिनेट की हरी झंडी

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नई दिल्ली। देश के ज्यादातर लोगों को सस्ता अनाज मुहैया कराने की एक बाधा पार हो गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहुप्रतीक्षित खाद्य सुरक्षा विधेयक को हरी झंडी दिखा दी। अब इसे संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश कर दिया जाएगा। यहां से पारित होते ही गरीबों को खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने की दूसरी और अंतिम बाधा भी पार हो जाएगी।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में रविवार शाम को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी गई। पिछले सप्ताह मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर फैसला टाल दिया गया था। इस दिन इस विधेयक पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला था और कृषि मंत्री शरद पवार ने अनाज की उपलब्धता और सब्सिडी का बोझ बढ़ने को लेकर कुछ चिंता जताई थी।

अब इस विधेयक को एक दो दिन में संसद के चालू सत्र में पेश किया जा सकता है। इस कानून के लागू होने के बाद सरकार का खाद्य सब्सिडी पर खर्च 27,663 करोड़ रुपये बढ़कर 95 हजार करोड़ रुपये सालाना हो जाएगा। इस पर अमल के लिए खाद्यान्न की जरूरत मौजूदा के 5.5 करोड़ टन से बढ़कर 6.1 करोड़ टन पर पहुंच जाएगी।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून [मनरेगा] के बाद यह संप्रग सरकार की दूसरी बड़ी पहल है। कांग्रेस ने 2009 के चुनाव घोषणा पत्र में इस कानून को लाने का वादा किया था। राष्ट्रपति ने भी जून, 2009 में संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए इसकी घोषणा की थी। देश के ग्रामीण क्षेत्र की तीन चौथाई फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत आबादी को इस कानून के दायरे में लाया जा रहा है।

इस कानून का लाभ पाने वाली ग्रामीण आबादी की कम से कम 46 प्रतिशत आबादी को ‘प्राथमिकता वाले परिवार’ की श्रेणी में रखा जाएगा जो मौजूदा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में ए गरीबी रेखा से नीचे के परिवार कहे जाते हैं। शहरी क्षेत्राें की जो आबादी इसके दायरे में आएगी उसका 28 प्रतिशत प्राथमिकता वाली श्रेणी में होगा। विधेयक के तहत प्राथमिकता वाले परिवाराें को प्रति व्यक्ति सात किलो मोटा अनाज, गेहूं या चावल क्रमश: एक, दो और तीन रुपये किलो के भाव पर सुलभ कराया जाएगा। यह राशन की दुकानाें के जरिए गरीबों को दिए जाने वाले अनाज की तुलना में काफी सस्ता है।

मौजूदा पीडीएस व्यवस्था के तहत सरकार 6.52 करोड़ बीपीएल परिवाराें को 35 किलो गेहूं या चावल क्रमश: 4.15 और 5.65 रुपये किलो के मूल्य पर उपलब्ध कराती है। सामान्य श्रेणी के लोगाें को कम से कम तीन किलो अनाज सस्ते दाम पर दिया जाएगा जिसका वितरण मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य के 50 फीसदी से अधिक नहीं होगा। वर्तमान में गरीबी रेखा से ऊपर [एपीएल] के 11.5 परिवाराें को कम से कम 15 किलो गेहूं या चावल क्रमश: 6.10 और 8.30 रुपये किलो के भाव पर उपलब्ध कराया जाता है।

यह प्रस्तावित कानून वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियाें के अधिकार प्राप्त समूह के पास सितंबर, 2009 से है। अनुमान है कि इस कार्यक्रम से सरकारी खजाने पर 3.5 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा।

खाद्य सुरक्षा विधेयक के मुख्य प्रावधान:-

-विधेयक के मसौदे में 75 फीसदी ग्रामीण आबादी तथा 50 फीसदी शहरी परिवारों को दायरे में रखा गया है। मसौदे में हर व्यक्ति को सात किलो अनाज का अधिकार दिया गया है। इसके तहत तीन रुपये प्रति किलो की दर से चावल, दो रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और एक रुपये प्रति किलो की दर से मोटे अनाज दिए जाएंगे।

-सामान्य श्रेणी में हर व्यक्ति को तीन किलो अनाज प्रति माह दिया जाएगा और कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य की आधी होगी।

-विधेयक में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर शिकायत निपटारा प्रक्रिया का प्रावधान है।

-केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की चिंता है कि इससे 63 हजार करोड़ रुपये की खाद्य रियायत बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये हो सकती है।

-5.4-5.5 करोड़ टन मौजूदा अनाज उत्पादन की जगह मांग के 6.2 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान।

-सरकार का अनाज भंडार अगस्त 2011 तक 6.127 करोड़ टन था।