फर्जीं शिक्षक के विषय में सूचना न देने पर एडीएम पर 25 हजार जुर्माना

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फर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा विभाग को लाखों रुपये मासिक के वेतन का चूना लगा रहे फर्जी प्रमाण पत्रों से नियुक्त फर्जी शिक्षकों की फौज के खिलाफ मोर्चा खोले एक आरटीआई एक्टीविस्ट की याचिका पर शुक्रवार को राज्य सूचना अयोग ने अपर जिलाधिकारी के 25 हजार रुपये के जुर्माने का आदेश कर दिया है। विकास खंड मोहम्म्दाबाद में तैनात एक ऐसे ही फर्जी शिक्षक के विरुद्ध सूचना के लिये दौड़ लगा रहे रूपलाल नामक आरटीआई एक्टीविस्ट को कई महीनों की मेहनत के बावजूद आजतक सूचना तो न मिली, हां इतना अवश्य हुआ कि इस कवायद में अपर जिलाधिकारी राजकेश्वर जरूर लपेटे में आ गये।

विकास खंड मोहम्मदाबाद के प्राथमिक विद्यालय अलीदादपुर में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात राजनरायन शाक्य के विषय मे रूपलाल ने जिलाधिकारी को  एक शिकायती पत्र के साथ राजनरायन शाक्य के शैक्षिक प्रमाण पत्र फर्जी होने के प्रमाण संलग्न कर, संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी। बाद में रुपलाल ने अपने शिकायती पत्र पर हुई कार्रवाई के विषय में सूचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी चाही थी। परंतु सामान्य आवेदनों की तरह जिलाधिकारी ने रूपलाल के प्रार्थनापत्र को भी “रुटीन” में बीएसए को संदर्भित कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। बीएसए तो वैसे भी इस प्रकार के पत्रों को समान्यतया किसी लिपिक को मार्क कर भूल गये। परंतु चूंकि फर्जी शिक्षकों का तो पूरा गोरखधंधा ही इन लिपिकों की मेहरबानी से चलता है, सो लिपिक ने पत्र दबा लियो व मामला दब गया। इस दौरान रूपलाल ने  कई अनुस्मारक भी दिये परंतु बेसिक शिक्षा विभाग टस से मस नहीं हुआ। आखिर शुक्रवार को राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र पाण्डेय ने जिलाधिकारी कार्यालय के जन सूचना अधिकारी अपर जिलाधिकारी राजकेश्वर सिंह के विरुद्ध 25 हजार रुपये का जुर्माना कर दिया है।

इस पूरे प्रकरण में सबसे मजेदार बात यह है कि आज तक राजनरायन शाक्य के विरुद्ध कोई कार्रवई होना तो दूर उसका वेतन तक नहीं रोका गया। इसके अतिरिक्त  न ही रूप लाल को सूचना मिली।

 

राज्य सूचना आयोग में शुक्रवार को ही विद्युत वितरण खंड ग्रामीण के अधिशासी अभियंता एनके मिश्रा के विरुद्ध भी 25 हजार रुपये का जुर्माना किया गया है। एक विभागीय लिपिक गोपीनाथ गुप्ता की याचिका पर इस आशय के आदेश दिये गये हैं। गोपीनाथ गुप्ता ने श्री मिश्रा से विभागीय प्रवर्तन अभियानों के दौरान अधिकारियों  द्वारा भरी गयी “रेड रिपोर्ट” व उनके संबंध में की गयी कार्रवाई का व्योरा मांगा था। विदित है कि विद्युत विभाग में पहले जांच के दौरान लाखों रुपये का नोटिस देना व बाद में उसे हजारों में निबटा देने का पुरान रिवाज है। इसी गोरखधंधे को उजागर करने के लिये श्री गुप्ता ने यह सूचना मांगी थी। सूचना देने में अभी भी विभाग आनाकानी कर रहा है।

 

एक अन्य मामले में आवेदक दिनेश चंद्र चौहान की याचिका पर प्रधानाचार्य सर्वोदय इंटर कालेज पिपरगांव व जिला विद्यालय निरीक्षक पर भी जुर्माना किया गया है। श्री चौहान ने एक परीक्षा गजट उपलब्ध कराये जाने के लिये सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन किया था।