विधानसभा चुनाव: आयोग दे सकता है बोर्ड परीक्षा आगे बढ़ाने का निर्देश

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निर्वाचन आयोग तय समय पर प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने का फैसला करता है तो किसी तरह की अड़चन नहीं आएगी क्योंकि 4 अप्रैल को बोर्ड परीक्षाएं समाप्त हो जाएंगी। परंतु यदि चुनाव आयोग फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव कराने का मन बनाता है तो सरकार को बोर्ड परीक्षा की तारीखें बढ़ाने का निर्देश दिया जा सकता है।  20 मई 12 से पहले चुनाव कराना आयोग की संवैधानिक बाध्यता है इसलिए यह भी संभव है कि आयोग बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम के मद्देनजर बाद में ही चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराए।

पिछले महीने यूपी के दौरे में मिले फीडबैक को देखते हुए आयोग मार्च में बोर्ड की परीक्षाओं से पहले चुनाव करा लेना ज्यादा उपयुक्त मान रहा है। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडियट परीक्षाओं का कार्यक्रम घोषित होने के बाद फरवरी में चुनाव कराए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। बोर्ड परीक्षा के बाद चुनाव कराए जाने की संभावना इसलिए कम मानी जा रही है क्योंकि फसलों की कटाई का सीजन व गरमी शुरू हो जाने की वजह से मतदान प्रतिशत पर असर पड़ सकता है। प्रदेश के ज्यादातर राजनीतिक दल फरवरी में ही चुनाव कराने के पक्ष में हैं। घोषित कार्यक्रम के अनुसार हाईस्कूल परीक्षा 1 मार्च से 21 मार्च तथा इंटरमीडियट की परीक्षा 1 मार्च से 4 अप्रैल तक कराई जानी हैं। यानी अगर आयोग परीक्षाओं से पूर्व चुनाव कराना चाहता है तो उसके पास फरवरी तक वक्त है। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आयोग परीक्षाओं की तारीखें आगे बढ़ाने के निर्देश दे सकता है। अगर परीक्षाएं एक सप्ताह आगे बढ़ जाती हैं तो मार्च के पहले सप्ताह तक आयोग चुनाव संपन्न करा सकता है। वक्त कम है इसलिए आयोग परीक्षा की तारीखें आगे बढ़ाने का निर्देश दे सकता है या फिर अप्रैल के पहले सप्ताह के बाद ही चुनाव करा सकता है।

बोर्ड परीक्षाओं से अगर आयोग फरवरी-मार्च में चुनाव नहीं कराता है तो चुनाव 5 अप्रैल के बाद ही हो सकेंगे और मई के पहले सप्ताह तक ही प्रक्रिया पूरी हो सकेगी। यदि फरवरी में चुनाव होने होंगे तो एक सप्ताह के भीतर आयोग इस पर निर्णय कर लेगा।