फर्रुखाबाद: केंद्र सरकार द्वारा मासूम स्कूली बच्चों के लिए चलाये जा रहे सर्व शिक्षा अभियान के तहत आगनबाडी के बच्चों के लिए पुष्टाहार हेतु पौष्टिक मीठी पंजीरी की व्यवस्था की गयी है लेकिन कालाबाजारियों की कुद्रष्टि इन मासूम बच्चों के निवालों पर पड़ गयी| जिसके चलते बच्चों को दी जाने वाली पंजीरी दबंगों और ठेकेदारों के जानवर सुबह नास्ते में खा रहे हैं|
फर्रुखाबाद जनपद में एक बड़े पैमाने पर पुष्टाहार की कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है लेकिन प्रशासन का ध्यान इस ओर क्यों नहीं जा रहा है| यह विषय सोचनीय है| आगनबाडी केन्द्रों में कार्यकत्रियां सिर्फ आती तो हैं लेकिन रजिस्टरों में, पंजीरी भी बंटती है तो सिर्फ रजिस्टरों में दो चार बच्चों को पकड़कर दिखाबे के तौर पर उनके हाँथ पर एक-एक चम्मच पंजीरी रख दी जाती है| बांकी मिलने वाली बोरियां कार्यकत्री व कालाबाजारियों की जेबें गर्म करती हैं| सरकार की तरफ से मुफ्त में मिलने वाली इन पुष्टाहार की बोरियों को १५० से लेकर २५० में धड़ल्ले से बिक्री हो रही हैं| जिससे कार्यकत्रियों की अच्छी तरह से पौ बारह है| जिस किसी सम्बंधित अधिकारी से शिकायत करो तो वह भी रट्टू तोते की तरह एक ही जवान बोलते हैं कि ऐसा नहीं है| जिससे इस कालाबाजारी पर लगाम लगना मुश्किल हो गया है|
ऐसे ही एक ठेकेदार व कई कार्यकत्रियों का कालाबाजारी की जानकारी हुयी जिसके तहत आज सुबह करीब १०० बोरियों को नवाबगंज के एक किराना दुकानदार कल्याण शक्य उर्फ़ कल्लू के यहाँ देखा गया| जिसकी दुकान नवाबगंज में वर्तन वाली गली के पास है| जिसके यहाँ ज्योनी की आगनबाडी कार्यकत्री सत्यवती शाक्य, ज्योना निवासी नीरज, दूदेमई पिंकी कठेरिया ने टाटा मैजिक नंबर यूपी ८१ AA /9190 से करीब १०० बोरियां कल्याण शाक्य के घर पर ले जाती देखी गयी|
इस सम्बन्ध में कल्याण शाक्य ने सफाई देते हुए बताया कि इन्होने अपनी बोरियां रखी हैं लेकिन इनका ट्रैक्टर आयेगा और ले जाएगा| अब प्रश्न इस बात का उठता है कि जब बोरियां मैजिक पर लदी थीं तो उतारकर फिर ट्रैक्टर से ले जाने की क्या जरूरत व कार्यकत्रियों को एक साथ कल्याण शाक्य के घर जाने की क्या जरूरत ?
इस मामले में जब सुपर वाईजर शकुन्तला भदौरिया से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि कार्यकत्रियों ने अपनी बोरिया रखी होंगी बाद में वह उठा ले जायेंगीं| फिलहाल सुपर वाईजर साहिबा ने इस सम्बन्ध में कार्यकत्रियों व कल्याण शाक्य से पूंछ-तांछ करने की तकलीफ नहीं की| इस लापरवाही के चलते ही आज पुष्टाहार की कालाबाजारी चरम पर है|