पूर्व सूचना विज्ञान अधिकारी हरिजन उत्पीड़न के मुकदमें में बरी

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फर्रुखाबाद: पूर्व सूचना विज्ञान अधिकारी सुहेल फसीह पर सात वर्ष पूर्व लगे हरिजन उत्पीड़न व छेडखानी के मुकदमे में उच्च न्यायालय ने उनको बरी कर दिया है। स्थानीय पुलिस पूर्व में ही मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी थी, परंतु बाद में वादी नौकरारनी की शिकायत पर स्थानीय न्यायलय ने मुकदमा दोबारा शुरू कर दिया था। उच्च न्यायालय ने तत्काली जिला सूचना विज्ञान अधिकारी की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के उपरांत उनपर लगे आरोपों को बलहीन करार देते हुए उनको बरी कर दिया है। स्थानीय अदालत से जमानत पर चल रहे श्री फसीह की जमान अपने आदेश से ही समाप्त करते हुए उनकी जमानतें भी अवमुक्त कर दी गयी हैं।

विदित है कि श्री फसीह अपनी तैनाती के दौरान आफीसर्स कालोनी स्थित आवास में सपत्नीक निवास करते थे। उनके आवास के सामने कपड़ों पर प्रेस करने का काम करने वाली महिला की पुत्री अंजू उनके घर पर घरेलू कार्य किया करती थी। घर से कुछ जेवर गायब हो जाने के मामले में श्री फसीह ने अंजू के विरुद्ध कोतवाली फतेहगढ़ में 02 जून 04 को एक तहरीर दी थी, जिसपर 22 जून  04 को एफआईआर दर्ज की गयी। इसी के बाद 6 जुलाई 2004 को अंजू की मां मुन्नी देवी पत्नी रामचंद्र ने श्री फसीह के विरुद्ध घर पर वेतन के पैसे मांगने जाने पर जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने व बदनियती से उसका शरीर छूने का आरोप लगाते हुए तहरीर पुलिस में दी थी। बाद में पुलिस को बयान के दौरान घटना के चश्मदीद गवाह व मुन्नी के पति रामचंद्र ने छेड़खानी के आरोपों का स्वयं खंडन कर दिया था। केवल अपशब्द कहे जाने की बात स्वीकार की थी। पुलिस ने जांच में मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी। परंतु मुन्नी देवी ने दो अन्य गवाहों को पेश करते हुए बाद में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के विरुद्ध न्यायालय में प्रार्थनापत्र दे दिया।

श्री फसीह द्वारा मामले में पुनर्विचार के लिये उच्च न्यायालय में दी गयी याचिका पर विचार के उपरांत न्यायाधीश ने श्री फसीह को बरी कर दिया। विस्तृत आदेश में कहा गया है कि पुनर्विचार याचिकाकर्ता के विरुद्ध मामले में पर्याप्त साक्ष नहीं हैं। क्योंकि चश्मदीद गवाह व वादिनी के पति ने छेड़खानी से स्वयं इनकार कर दिया है। अपशब्द यदि कहे भी गये थे तो वह सार्वजनिक स्थान नहीं था। ऐसे में यदि मुकदमा चलता भी है तो यह केवल न्यायालय के समय बर्बाद करने व याचिकाकर्ता के उत्पीड़न के अतिरिक्त कुछ नहीं होगा।

न्यायाधीश एससी अग्रवाल ने अपने आदेश में श्री फसीह को दोषमुक्त करार देते हुए यह भी कहा है कि याची को अपनी जमानत कटाने की आवश्यकता नहीं है, तदनुसार उनकी जमानतें अवमुक्त की जाती हैं।