इसी सप्ताह छिन जायेगी पालिकाध्यक्षों की कुर्सी

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*प्रशासकों की तैनाती का शासनादेश जारी*  

इस सप्ताह नगर निकायों के अध्यक्षों के शपथ ग्रहण को पांच वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसी के साथ नगरीय निकायों की कमान निर्वाचित प्रतिनिधियों से प्रशासकों के हाथ में जाने लगेगी। प्रदेश सरकार ने अध्यक्ष व सदस्यों का पांच वर्ष का कार्यकाल शपथ ग्रहण से मानते हुए शासनादेश रविवार को कर दिया। शपथ ग्रहण के हिसाब से पांच साल का कार्यकाल जहां-जहां जैसे-जैसे पूरा होता जाएगा, निकायों की कमान प्रशासक सम्भालते जाएंगे।

प्रमुख सचिव नगर विकास दुर्गा शंकर मिश्र की तरफ से शासनादेश में अपरिहार्य परिस्थितियों के चलते निकाय चुनाव न करा पाने की मजबूरी जतायी गयी है। निकायों में प्रशासकों की तैनाती संबंधी आदेश किया गया है। यह शासनादेश रविवार को देर शाम जारी कर मंडलायुक्त, जिलाधिकारियों व नगर आयुक्तों को भेज दिया गया है। शासनादेश में 13 नगर निगमों, 194 नगर पालिका परिषद व 423 नगर पंचायतों का हवाला दिया गया है। प्रथम बैठक (अधिवेशन) के बारे में स्पष्ट किया गया है कि शपथ दिलाने के लिए बुलाए गए अधिवेशन को ही निकाय का पहला अधिवेशन माना जाएगा।

विदित है कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मौजूदा निकायों के गठन की अधिसूचना 13 नवंबर 2006 को की गई थी। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को एक सप्ताह में शपथ दिलाने का शासनादेश किया गया था। ऐसे में जिन निकायों के प्रतिनिधियों का शपथग्रहण 14 नवंबर 2006 को हुआ था उनका कार्यकाल रविवार रात 12 बजे समाप्त हो जाएगा। चूंकि ज्यादातर निकायों का शपथ ग्रहण 14 से 20 नवंबर 2006 के दरमियान हुआ था इसलिए अब उन सब का कार्यकाल 19 नवंबर तक समाप्त हो जाएगा। उक्त शासनादेश के तहत कार्यकाल समाप्त होते ही नगर निगमों की कमान, बतौर प्रशासन जिलाधिकारियों के हाथ में जाएगी। इसी तरह नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों की कमान उप जिलाधिकारी (एसडीएम) स्तर के राजपत्रित अधिकारियों के हाथ में रहेगी।  जनपद के अधिकांश नगर निकायों का शपथ ग्रहण समारोह 16 व 18 नवंबर को सम्पन्न हुए थे।