लखनऊ। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने राज्य विधानसभा चुनावों को देखते हुए मैदान में एक और ‘ब्राह्मण कार्ड’ चला है। प्रदेश के ब्राह्मणों को रिझाने के लिए अपनी पार्टी के नेता सतीश चंद्र मिश्रा की मां डा. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय की स्थापना की। शनिवार को विश्वविद्यालय का उद्घाटन करते हुए मायावती ने कहा कि यह ऐसा बहुमूल्य मौका है, जब किसी दलित महिला (मायावती) ने सवर्ण के नाम पर किसी विश्वविद्यालय की स्थापना की है। यह विश्वविद्यालय खासतौर से विकलांगों को शिक्षा प्रदान की जाएगी।
मायावती ने इस मौके पर मुसलमानों और दलितों को भी यह जताने की कोशिश की कि वो उनकी उपेक्षा नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय जहां सवर्णों के नाम को आगे बढ़ायेगा, वहीं नोएडा में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में गरीब छात्र-छात्राओं को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा मुहैया कराने की बात कही। इसके साथ उन्होंने उर्दू, अरबी व फारसी विश्वविद्यालय की स्थापना की बात दोहराई।
इस मौके पर मायावती ने डा. अम्बेडकर, कांशीराम और अपने दादा का जिक्र करते हुए कहा कि वो इन लोगों के विचारों को समाज में लाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में यह सब कर रही हैं। उन्होंने अपने भाषण में बार-बार जताया कि यह विश्वविद्यालय खास तौर से सवर्णों के नाम को आगे बढ़ायेगा। उन्होंने यह भी जताने की कोशिश की कि वो सिर्फ दलितों की नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग को लाभांवित करने की कोशिश में हैं। इस मौके पर उन्होंने अपनी सरकार की शैक्षिक उपलब्धियां गिनायीं।
खैर अब अगर चुनावी स्टंट की बात करें तो विश्वविद्यालयों, कॉलेजों की स्थापनर व बालिका योजनाओं को लागू कराने से मायावती ने लोगों का खासा विश्वास हांसिल किया है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में विपक्षी दलों द्वारा तीखे वार के बाद बसपा का वजन हलका होने से चिंतित मायावती ने एक बार फिर अपना पुराना अस्त्र निकाला।