माया के एक और मंत्री लोकायुक्त जांच के दायरे में

Uncategorized

लखनऊ। भ्रष्टाचार में लिप्त प्रदेश सरकार के मंत्रियों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है। लोकायुक्त जांच में दोषी पाये गये चार मंत्रियों के मंत्रीमंडल से हटाये जाने के बाद अब खेल मंत्री अयोध्या पाल भी लोकायुक्त जांच के दायरे में आ गये हैं। पाल पर फैजाबाद में निर्माणाधीन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम में भ्रष्टाचार का आरोप है। खेल मंत्री पाल पर बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर के नाम पर बनने वाले स्टेडियम के निर्माण में धांधली का आरोप है।

भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले फैजाबाद निवासी भानुप्रताप सिंह ने शपथपत्र देकर भ्रष्टाचार के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि स्टेडियम की कुल लागत 86 करोड़ रुपये पहले कही गयी थी लेकिन मौजूदा समय में कार्यदायी संस्था इसकी लागत 150 करोड़ रुपये बता रही है। शिकायत कर्ता भानुप्रताप के अनुसार लगभग 60 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद स्टेडियम का निर्माण अधूरा ही है। शपथ पत्र में कहा गया है कि कार्यदायी संस्था सी एण्ड डी एस के अनुसार उपरोक्त क्रीड़ा संकलन के निर्माण में हो रही देरी की वजह खेलमंत्री की कार्यशैली है।

शिकायतकर्ता के अनुसार खेल मंत्री ने अपने लेटर पैड पर पत्र लिखकर नये कार्यों के लिए धन आवंटित करने और पुराने काम को रोकने हेतु आगाह किया है। खेल मंत्री पर आरोप है कि उपरोक्त धन से जो स्वीमिंग पुल निर्मित हो रहा था वह भी उन्होंने आधा अधूरा बन्द करा दिया। शिकायतकर्ता का कहना है कि जांच कराने पर यह पता लग सकता है कि उक्त काम पर कितना रुपया खर्च हुआ है। लोकायुक्त से आग्रह किया है स्टेडियम के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार की जांच करायें। इस बारे में लोकायुक्त के जनस पर्क अधिकारी ने भी शिकायत आने की पुष्टि की है और कहा कि अभी इसकी समीक्षा की जाएगी।

गौरतलब है कि लोकायुक्त की जांच के बाद धर्मार्थ मंत्री राजेश त्रिपाठी, दुग्ध विकास मंत्री अवधपाल सिंह यादव, माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र और श्रम मंत्री बादशाह सिंह की मायावती मंत्रिमंडल से हटा चुकी हैं। वहीं संस्कृति मंत्री सुभाष पांडेय को क्लीन चिट भी मिल चुकी है।