बेसिक शिक्षा का हाल: छात्र बैठे मैदान में, कक्ष में सूख रहे आलू

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फर्रुखाबाद: बेटा-बेटी एक समान, सबको शिक्षा सबको ज्ञान, सब पढ़ें सब बढ़ें आदि लोक लुभावन नारों के सहारे सर्व शिक्षा अभियान के तहत जिले में 6 से 14 वर्ष के बच्चों को स्कूल से जोड़ने की सरकारी योजना कागजों में ही सिमट कर रह गयी है। जनपद में अभी भी हजारों बच्चे ऐसे है जो आज तक शिक्षा तो दूर स्कूल का मुंह तक नहीं देख पाये जबकि सरकार इतने गंभीर मसले को हल करने के लिए अभी भी सिर्फ कागजों का ही सहारा ले रही है।

सारी योजना-परियोजनाएं कागजों पर ही बनती है और परवान चढ़ने के पहले ही धराशायी हो जाती है। सरकार द्वारा शिक्षा में गुणात्मक सुधार के दावे किये जा रहे हैं. उसके बाद भी ब्लाक बढपुर के प्राथमिक विद्यालय वाहिदपुर जैसे कई विद्यालयों का हाल बेहाल है. भवन तो है लेकिन बड़े रसूख वालों के चलते स्कूल में आलू भरे है या फिर अपने जानवर बांधते हैं| बच्चे खुले आसमान के नीचे या फिर वृक्ष के नीचे पढ़ने को विवश हैं.

प्राथमिक विद्यालय वाहिदपुर का आलम तो कुछ और ही है| यहाँ की प्रधानाचार्य की अपनी मर्जी चलती है स्कूल भवन को जान पहचान वालों में ऐसे बांटती है जैसे सरकारी संपत्ति न होकर उनके बाप की धरोहर हो| गाँव के जान पहचान के लोग विद्यालय के कमरों व बरामदों में आलू के पैकेट ऐसे लगाए हैं जैसे कोल्ड स्टोरेज में | बच्चे बैठकर पढाई कहाँ करें उन्हें इससे क्या मतलब ?

लेकिन विद्यालय का दुर्भाग्य यह है कि प्रत्येक कार्य दिवस में छात्रों व शिक्षकों की उपस्थित होने के बाबजूद विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक के आने तक ना तो छात्र की उपस्थिति दर्ज होती है, ना ही शिक्षक अपने उपस्थिति पंजी में दर्ज करा पाते हैं.

आगनबाडी का हाल, बच्चे २ या फिर ४

इसी विद्यालय के आंगनबाडी का हाल भी बेहद चिंताजनक है | कभी कार्यकत्री दिखाई देती हैं तो बच्चे गायब, कभी बच्चों को घेर कर उनके माँ-बाप ले जाते हैं तो मैडम जी गायब क्या होगा इस देश के भविष्य का|