फर्रुखाबाद: प्रसिद तीर्थ स्थल पर बुधवार सुबह से ही बौद्ध अनुयाइयों की भारी भीड़ रही जिसमे हुए दीक्षा कार्यकक्रम में खुशीनगर से आये भन्त्ते नन्द रतन ने लगभग 5 हजार लोगों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी|
भन्ते नन्द रतन ने कहा कि भगवन बुद्ध के धर्म में समाहित होने के लिए धर्म परिवर्तन कि आवश्यकता नहीं है| अपितु अपने ऊपर पड़े दूसरों के संस्कारों कि धुल हटाने कि आवश्यकता है| अंतर राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बौद्ध धर्म का प्रसिद तीर्थ स्थल संकिसा जोकि भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में पहचान बना चूका है| बुधवार को हुए बौद्ध दीक्षा कार्यक्रम में भारत के कोने कोने से लोग पहुंचे|
अनुयाइयों का मानना है कि हर वर्ष संकिसा में भगवान् बुद्ध अवतरित होते है| आज ही के दिन भगवान् बुद्ध ने सत्य और अहिंसा कि स्थापना के लिए मानव भेष में अवतार लिया था| वैसे तो सुबह से ही संकिसा में मेले जैसा माहौल था कार्यक्रम सुबह से ही शुरू हो गए थे|
दोपहर बाद दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे गुरू के रूप में भगवान् बुद्ध के वंशज व बौद्ध शोध संसथान के अध्यक्ष परम पूज्य भन्ते नन्द रतन ने लगभग 5 हजार लोगों को बौद्ध धर्म कि दीक्षा दी| व बौद्ध धर्म के पंचशील के सिद्धांतों का पालन करने कि बात कही|
इस दौरान राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के मंत्री गेंदा लाल मोर्य, बोद्ध कम्यून के प्रबंध निर्देशक जी एस शाक्य देवकी नंदन शाक्य, संग मित्र मौर्य, रामवीर शाक्य, विजय सिंह, लाला राम, राम नरेश कुशवाह व डॉ राजीव मौर्य आदि लोग मौजूद रहे|