बच्चा पैदा करना हुआ महंगा: किन्नरों से कहीं महँगा है नर्सों का नेग

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फर्रुखाबाद: राम मनोहर लोहिया अस्पताल में प्रसव के लिये आने वाली महिलाओं व उनके परिजनों से नेग के नाम पर रिश्वत का ट्रेंड चल निकला है। यदि आप के पास हास्पिटल स्टाफ को देने के लिये ५०० से लेकर १ हजार तक नहीं हैं तो नर्सें तो दूर सफाई कर्मी तका प्रसूता को हाथ लगाने को तैयार होते हैं। सफाई कर्मियों को जिक्र करना इस लिये जरूरी है क्योंकि आजकल अस्पताल जो थोड़ी बहुत व्यवस्था है वह इन्हीं के भरोसे है, वर्ना नर्सिंग स्टाफ ने तो वेतन को पेंशन और गप लड़ाने को ही ड्यूटी मान लिया है।

अस्पताल में प्रसव कराने आयी राजेपुर कें ग्राम कडहर निवासी  ऊषा बाल्मीकी पत्नी मुरली , ब्लाक मोहम्दाबाद के ग्राम गोसरपुर निवासी सीमा जाटव पत्नी अवनीश  , जहानगंज के ग्राम बेहटा निवासी केसकली पत्नी वीरसिंह ,चिल्सरा शमसाबाद निवासी मीना पत्नी घनश्याम चौहान ,अर्जुन नगला निवासी मिथिलेश पत्नी रिशीपाल , हरपालपुर हरदोई निवासी  सुमन पत्नी महेश जाटव ने बताया कि बेटा हो या बेटी नर्सें व डाक्टर डिलेबरी रूम से जच्चा बच्चा को तब तक बाहर नहीं निकालते हैं जब तक कि डिलेबरी रूम का नेग नर्सों के हाँथ में नहीं पहुँच जाता|

महिलाओं ने बताया कि यह लोग ५ सौ से लेकर १ हजार रुपये तक की बसूली नेग के नाम पर बसूलते हैं| इस कार्यक्रम में कभी-कभी उधारी का खेल भी चल जाता है| ऊषा पत्नी मुरली ने बताया कि हमसे उन्होंने पांच सौ रुपये मांगे लेकिन जब जेब में रुपये नहीं निकले तो उन्होंने कुछ कम ज्यादा देने को कहा| इस बात पर सौदा २०० रुपये पर जाकर तय हुआ| ऊषा के पति ने जब जेब में हाँथ डाला तो उसकी जेब में सिर्फ ११० रुपये ही निकले| इस पर नर्सों ने १०० रुपये उधार कर दिए|

नेग के रूप में रिश्वत वसूल लेने के बावजूद बेड पर चादर और सफाई की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता है | प्रसूताओं का कहना है कि अगर अवैध बसूली की जाती है तो कम से कम नर्सों को महिलाओं से कुछ तो सहानुभूति रखनी चाहिए|