आखिर कैसे 45 मिनट में हकीकत जान लेती हैं मायावती

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अगर तकनीक और दिमाग के घोड़े एक साथ दौडाए जाए तो सब कुछ सम्भव है| जिन बातो को जानने के लिए देवी देवताओ तक को कई महीने और दिन भेष बदल कर घूमना पड़ता था उसी प्रकार के काम को मायावती कैसे डुगडुगी पिटवाकर, चूना डलवाकर कर 20 से 45 मिनट में कर लेती है| दरअसल मायावती विलक्ष्ण प्रतिभा की धनी हैं और उन्हें छठी इन्द्रिय का इस्तेमाल करना आता है| यह उनकी दूरदर्शिता, विवेक और मूर्खो पर राज करने की कुटिल विलक्षण शक्ति का भी आभास कराती है|

दरअसल पांच ज्ञानेन्द्रियो का उपयोग कर हर इंसान को हर प्रकार का बोध करने का अवसर सामान रूप से इश्वर ने प्रद्दत किया है| किन्तु इस धरती पर कुछ खास होते है जो अपनी छठी इन्द्रिय का इस्तेमाल करना भी जानते है| उन्हें सामान्य से हटकर देवी देवताओ के समतुल्य माना गया है| अपने बलबूते एक लम्बे संघर्ष के बाद दलितों के लिए संघर्षरत उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती भी कतिपय छठी इन्द्रिय का इस्तेमाल करने में सक्षम है| शायद इसलिए वो अपना हर कदम आगे बढ़ाते समय किसी भी चिंता से मुक्त दिखती है| वैसे कुछ मामलो में वे देवी देवताओ से भी आगे निकलती दिखाई पड़ती है| इतिहास और पुराणों के मुताबिक राजा, महाराजा, देवी और देवी देवता अपनी प्रजा का दुःख दर्द और खुशहाली की हकीकत जानने के लिए भेष बदल कर निकलते थे| भगवान शंकर तो पार्वती के साथ रात में अपनी प्रजा का दुःख दर्द जानने निकलते थे ताकि दिन उन्हें कोई पहचान कर चाटुकारिता न करने लगे| सम्राट अशोक, चन्द्रगुप्त मौर्या, अकबर और बीरबल के भी किस्से इतिहास में इसी प्रकार के दर्ज है| मगर मायावती की विलक्षण प्रतिभा को इन सबसे भी आगे रखा जा सकता है| वे दिन में निकलती है| उनके निकलने से एक दिन पहले उनके दौरे के फैक्स निकलते है| जहाँ जाना होता है वो स्थान चिन्हित होता है| वहां अधिकारी दिन रात एक कर चूना लगाकर इलाके को चमकाते हैं| इतना सब मौका देने के बाद भी माया की नजरो से कुछ नहीं छुप सकता| भले ही वे दौरों में जनता और मीडिया से दूरी बनाकर रखती हो मगर दुंदुभी बजाकर शुरू हुआ मायावती का 25 से 45 मिनट मिनट का निरीक्षण अच्छो अच्छो की पुंगी बजा देता है|

वे सब समझ जाती है यहाँ क्या हुआ है| जब उन्हें खुश रखने के लिए रात दिन एक करने के बाद भी कमी रह गयी तो बाकी समय में क्या होता होगा| ये बात और है कि गाज गिराते वक़्त मायावती ये मौका नहीं देती कि किसकी गलती से ये सब हुआ| जो सामने आया समझो बलि का बकरा बन गया| अब मायावती के पिछले फरबरी मार्च 2011 के फर्रुखाबाद दौरे को ले लीजिये| कायमगंज के एक गाँव में मायावती आंबेडकर गाँव के निरीक्षण पर थी| मायावती की अदालत उस गाँव के प्राथमिक स्कूल में सजी थी| सब कुछ टनाटन व्यवस्था होने के बाबजूद जब मायावती की नजर स्कूल में साफ़ सफाई पर गयी| मौके पर मौजूद जिले के सबसे बड़े अधिकारी की नजरे भी मायावती की नजरो के मुताबिक चल रही थी कि अचानक स्कूल की एक दीवार पर बच्चो द्वारा कुछ अंट शंट लिखा शब्द उन नर अधिकारी को दिख गया| बेचारे धीरे से गए और अपने पिछवाड़े से रगड़ रगड़ कर दीवार साफ़ कर आये| फिर मायावती नगर में आई| मुख्य मार्ग पर चलते समय कई साल पहले PWD द्वारा निर्मित कंक्रीट की सड़क से गुजरी तो सड़क पर झटके लग गए| बस ये झटके उन्हें समझ में आ गए कि यहाँ सब कुछ गड़बड़ है| फिर क्या था कई निपट गए| डीएम साहब के साथ दो तीन अफसर और निपट गए|

तो ये मायावती की दूरदर्शिता| वे जानती थी कि ये रोड अस्पताल तक जाती है जिस पर गर्भवती महिलाये बच्चा जानने के लिए निकलती होंगी| कुवारी मायावती को इतना एहसास है कि जब उन्हें VIP गाडी से इतने झटके लग गए तो रिक्शे पर बैठी गर्भवती महिला को इस सड़क से गुजरने में कितनी पीड़ा होती होगी| ये उनकी छठी इन्द्रिय का ही दिव्यज्ञान है जिसे खोजने में विपक्ष अभी तक विफल रहा है|