फर्रुखाबाद: जुल्म और बगावत के बीच बहुत महीन रेखा होती है। वह जब पार हो जाती है तो कमजोर से कमजोर भी मुखर हो जाता है। सोमवार को भी ऐसा ही कुछ हुआ। वर्षों से वेतन निकालने के नाम पर अवैध वसूली से त्रस्त सफाई कर्मियों से जब आधा वेतन तक वसूला जाने लगा तो उन्होंने आदोलन कर दिया। सीडीओ के सामने जब मामला आया तो वह आवाक रह गये। झुंझला कर उन्होंने पूरे डीपीआरओ कार्यालय का ही वेतन रोक दिया।
विदित है कि डीपीआरओ कार्यालय ही क्या पूरे विकास विभाग के लिये के लिये ग्राम पंचायतों में नियुक्त सफाई कर्मचारी दुधारू गाय बन कर रह गये हैं। ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत अधिकारी, बीडीओ से लेकर डीपीआरओ व उच्चाधिकारियों के घरों पर झाड़ू पोंछा से लकर खाना बनाने तक का काम इनसे लिये जाने के बावजूद वेतन निकालने के नाम पर इनसे अवैध वसूली को अधिकार माना जाता है। हद तो यह है कि रुके हुए वेतन को निकालने पर यह वसूली पचास प्रतिशत तक हो गयी है। सोमवार को सफाई कर्मचारियों ने विकास भवन पर प्रदर्शन किया। सीडीओ ने वार्ता के बुलाया तो गरीब अल्पवेतन भोगी कर्मचारियों ने दुखड़ा खोल कर रख दियां। सीडीओ चंद्र कांत पाण्डेय ने हकीकत सुनकर इस प्रकार के भाव प्रदर्शित किये जैसे उनको इस सबकी जानकारी ही नहीं है। परंतु यह भी कुछ सराहनीय बात नहीं है कि आपकी नाक के नीचे यह सब कुछ चलता रहे और आप को जानकारी तक नहीं हो। दूसरा फैसला उन्होंने यह किया कि अधिकारी व संबंधित कर्मचारी के अतिरिक्त पूरे डीपीआरओ कार्यालय का ही वेतन रोक दिया। अब शेष कर्मचारी परेशान हैं।