बीपीएड-डीपीएड डिग्री धारकों के शिक्षक बनने का सपना लटका

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बेचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन (बीपीएड) और डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन (डीपीएड) करने वालों के शिक्षक बनने पर ग्रहण लग गया है। राज्य सरकार के प्रस्ताव पर एनसीटीई का कामकाज देख रहे सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक विक्रम सहाय की अध्यक्षता में कमेटी बना दी गई है। एनसीटीई ने इस संबंध में देश के सभी राज्यों से बीपीएड व डीपीएड उपाधि की पात्रता पर जानकारी मांगी है। वहीं, इस संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत कहते हैं कि उनके प्रस्ताव पर केंद्र से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।

प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 72 हजार शिक्षकों की भर्ती की जानी है। इसके लिए नवंबर में टीईटी आयोजित की जानी है। यूपी में वर्ष 2007 में विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से हुई शिक्षकों की भर्ती में बीपीएड, डीपीएड वालों को शामिल किया गया था। पर इस पर एनसीटीई ने शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित होने वाली टीईटी में इन्हें शामिल होने की अनुमति नहीं दी। राज्य सरकार चाहती थी कि बीपीएड व डीपीएड वालों को भी टीईटी में शामिल होने का मौका दिया जाए। सचिव बेसिक शिक्षा ने 11 अगस्त एनसीटीई को पत्र लिखकर 23 अगस्त-10 को टीईटी के लिए जारी अधिसूचना को संशोधित करते हुए बीपीएड, डीपीएड व सीपीएड वालों को शामिल करने का अनुरोध किया था।

राज्य सरकार के प्रस्ताव के आधार पर बीएड/बीपीएड संघर्ष समिति के अध्यक्ष रवि शास्त्रत्त्ी ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से मुलाकात की थी। समिति के अध्यक्ष ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्री ने बताया है कि बीपीएड, डीपीएड की उपाधि प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए पात्र है या नहीं, इस पर राज्यों से राय मांगी गई है। समिति के अध्यक्ष कहते हैं कि केंद्र के इस रुख के चलते बीपीएड व डीपीएड डिग्री धारकों को टीईटी से अलग कर दिया गया है। इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी।