फर्रुखाबाद: जनपद में दिनांक 25 सितम्बर, 11को बूथ दिवस मनाया जाएगा | पोलियो जैसी घातक बीमारी से निजात दिलाने के लिए सभी को मिलकर जुट जाना होगा |
वैज्ञानिकों का कहना है कि पोलियो जैसी घातक बीमारी का पूरी तरह ख़ात्मा अब संभव दिख रहा है. बचपन में होने वाली इस बीमारी को 20वीं शताब्दी की सबसे ख़तरनाक बीमारी माना जाता था.
हाल में एक नए टीके का प्रयोग उन चार में से दो देशों में हुआ, जहाँ ये बीमारी अब भी मौजूद है| साइंस जर्नल लांसेट में छपे शोध के मुताबिक़ नया टीका उस पुराने लोकप्रिय टीके से काफ़ी बेहतर है. पोलिया के ख़िलाफ़ सघन टीकाकरण अभियान के कारण दुनियाभर में स्थिति काफ़ी सुधरी है.वर्ष 1988 में जहाँ 125 देश इससे प्रभावित थे, वहीं वर्ष 2005 में पोलियो से प्रभावित देशों की संख्या घटकर सिर्फ़ चार रह गई है. भारत भी इनमें से एक है.
तीन तरह के वायरस के कारण पोलियो होता है. इन्हें टाइप1, टाइप2 और टाइप3 नाम दिया गया है. पोलिया का जो प्रचलित टीका मौजूद है, वो या तो सभी तीनों वायरसों को निशाना बनाता है या फिर सिर्फ़ एक को.लेकिन नया टीमा पोलियो के दो वायरसों को निशाना बनाता है. यही दो वायरस इस समय दुनिया के चार पोलियो प्रभावित देशों में मौजूद हैं.
भारत में 800 बच्चों पर हुए शोध में यह पता चला है कि नया टीका पोलियो के प्रचलित टीके के मुक़ाबले 30 प्रतिशत ज़्यादा प्रभावी है.इस प्रयोग के बाद से ये टीका अफ़ग़ानिस्तान, भारत और नाइजीरिया के टीकाकरण अभियान में इस्तेमाल हो रहा है. भारत में पोलियो के मामलों में 90 प्रतिशत की कमी आई है.