हादसों के बाद भी ओवरलोडिंग से बाज नहीं आ रहे टैम्पो चालक

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फर्रुखाबाद: शहर क्षेत्र के याकूतगंज के पास बीते मंगलवार को हुए टैक्सी हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी व कई घायल हो गए थे| जिसका मुख्य कारण ट्रक, टैम्पो चालकों द्वारा ओवरलोडिंग व डग्गामारी है| डग्गामार वाहन चालक चंद रुपये के लोभ के कारण सवारियों को भूसे की तरह भरते हैं| चालकों की इस लापरवाही का खामियाजा घायल या या तो मौत के मुंह में समाकर देना पड़ता है|

जनपद फर्रुखाबाद के ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लाख दावे कर ले लेकिन ट्रैफिक पुलिस की पोल व उनके वाडे की धज्जियां कुछ इस तरह उडाई जाती है जो आप इस तस्वीर में देख रहे हैं| सड़क दुर्घटना में हुए मौत के खेल को अभी चार दिन भी नहीं बीते कि फिर से वही डग्गामारी व ओवरलोडिंग| आखिर ये इंसान कब नियमों का पालन करेगा और क्या ट्रैफिक पुलिस इन डग्गामार वाहनों से नियमों का पालन करवा पायेगी? ट्रैफिक की नियम सूची में एक नियम यह भी है जो अक्सर आपने वाहनों के पीछे लिखा देखा होगा कि जगह मिलने पर पास दिया जाएगा| डग्गामार वाहन चालकों के लिए यह नियम गया भाड़ में बस इसे एक सायरी के तौर पर पढ़ते हैं और गलत समय पर ओवरटेक कर अपनी जान को मुसीबत में डाल देते हैं|

वहीं ट्रैफिक रूल बनाने वाले जब तक चालकों से हरी पत्ती अपनी जेब में नहीं डाल लेते तब तक इनका दिन अच्छा नहीं जाता| जब ट्रैफिक पुलिस वालों को रुपये देने ही पड़ते हैं तो फिर इन डग्गामार चालकों को किस बात का भय| वाहन में जब तक भूसे की तरह सवारियां भर नहीं लेंगे और छत पर सामान की तरह बची कुची सवारियों को सामान की तरह लटका नहीं लेंगें तब तक चालक गंतव्य के लिए रवाना नहीं होंते| ये सब खेल ट्रैफिक पुलिस के सामने होता है लेकिन विरोध करने की हिम्मत नहीं होती| होगी भी कैसे अभी तो चालक साहब से गांधी छाप पत्ती जेब में डाली है| इसके आगे तो सारे कायदे क़ानून की माँ,बहन एक करने में पीछे नहीं रहते|

इन वहां चालकों को सिर्फ मुख्य जगह पर ही पैसे नहीं देने पड़ते बल्कि रास्ते में पड़ने वाली चौकी, चेकपोस्ट, हर जगह हरी पट्टियां देनी पड़ती है| तो फिर ये डग्गामारी कैसे रुक सकती है सोचिये…….? इस डग्गामारी के चलते जब कोई दुर्घटना हो जाती है तो पुलिस अपने फर्ज के अनुसार उसी जगह को दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र घोषित कर अपना बोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड लेती है| प्रश्न इस बात का उठता है कि अगर पुलिस को यह पता था कि दुर्घटना यहाँ होने की संभावना ज्यादा है तो बोर्ड पहले लगाते तो शायद कुच्छ हद तक हादसे कम हो सकते हैं|