फर्रुखाबाद: काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जोरशोर से अभियान चलाने वाले बाबा रामदेव खुद बेनामी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त के मामले में घिरते नजर आ रहे हैं। बाबा के करीबी आचार्य बालकृष्ण के निजी सहायक गगन कुमार के नाम पर पिछले वर्षों में करोड़ों रुपये की संपत्ति खरीदी गई है। जिस पीए गगन कुमार के नाम से संपत्ति खरीदी गई है उसका मासिक वेतन मात्र दस हजार रुपये है। गगन के नाम से खरीदे गए भूखंड पर पतंजलि योगपीठ का कब्जा है। सवाल यह है कि यदि संपत्ति गगन कुमार की है तो उस पर पीठ का कब्जा क्यों? यदि संपत्ति में ट्रस्ट का पैसा लगा है तो संपत्ति किसी व्यक्ति के नाम पर क्यों खरीदी गई और यदि यह ट्रस्ट का पैसा नहीं है तो इतना पैसा गगन के पास कहां से आया?
पिछले दो वर्षों में बालकृष्ण के पीए गगन के नाम पर कालंजरी और शांतरशाह सहित कई इलाकों में करोड़ों की संपत्ति खरीदी गई। 14 मई 2010 में कालंजरी में 7,525 वर्गमीटर का भूखंड गगन के नाम पर 1,37,35,000 रुपये में खरीदा गया। इस पर 8,24,500 रुपये स्टांप शुल्क अदा किया गया। इसी तरह ग्राम शांतरशाह में 15 जनवरी 2011 में 1.446 हेक्टेयर का भूखंड 35 लाख रुपये में खरीदा गया। इस पर 2,09,200 रुपये स्टांप शुल्क दिया गया। क्रेता गगन ने दोनों ही मामलों में रजिस्ट्री के दौरान अलग-अलग पता दर्ज करवाया है।
खरीदी गई संपत्ति की जानकारी आम न हो जाए, इसके लिए गगन ने उसका दाखिल खारिज नहीं कराया है। दाखिल खारिज होने से सारी जानकारी कंप्यूटर पर आ जाती है। इस प्रक्रिया के बाद मालिकाना हक बदलवाने में भी समय लगता है, लेकिन यदि ऐसा न होने पर सरलता से संपत्ति कोई भी अपने नाम पर ट्रांसफर करा सकता है।