संकट में माया सरकार, अब श्रम मंत्री बादशाह सिंह जांच के घेरे में

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम मंत्री बादशाह सिंह भी लोकायुक्त जांच के घेरे में आते नजर आ रहे हैं। लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने उनके ऊपर ग्राम सभा और सरकार की जमीन पर अवैध कब्जे करने के आरोप में उनसे 23 सितंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

लोकायुक्त मेहरोत्रा ने बताया है कि श्रम मंत्री बादशाह सिंह के विरुद्ध सरकारी और ग्राम सभा की जमीनों पर अवैध कब्जा करने की शिकायत मिली है। प्रथम दृष्टया आरोपों को सही पाए जाने के बाद उन्हें 23 सितंबर तक अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है।

इस बात की पुष्टि करते हुए कि नोटिस सिंह को प्राप्त हो चुका है, न्यायमूर्ति मेहरोत्रा ने बताया कि बादशाह सिंह को पद का दुरुपयोग करके सरकारी और ग्राम सभा की जमीनों पर अपने व्यावसायिक भवन, एक डिग्री कॉलेज और एक इंटर कॉलेज बनवाने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। सिंह महोबा जिले के मौदहा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

उन्होंने बताया कि जांच का काम चल रहा है और उन्हें उम्मीद है कि यह एक महीने में पूरी हो जाएगी। न्यायमूर्ति मेहरोत्रा ने यह भी बताया कि श्रम मंत्री बादशाह सिंह के विरुद्ध मिली शिकायत के बारे में प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को भी अवगत करा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में अब तक लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट के आधार पर दो मंत्रियों दुग्ध एवं पशुधन विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अवध पाल सिंह और धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री राजेश त्रिपाठी को पद गंवाने पड़े हैं।

मंत्री की बर्खास्तगी और मायावती से इस्तीफे की मांग की कांग्रेस ने

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त द्वारा राज्य के श्रम मंत्री बादशाह सिंह के खिलाफ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे और वित्तीय अनियमितता के आरोप में नोटिस जारी किए जाने पर उन्हें बर्खास्त करने तथा मुख्यमंत्री मायावती से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान ने गुरुवार को कहा कि प्रदेश की मायावती सरकार में भ्रष्टाचार और मंत्रियों के जमीन पर अवैध कब्जे के मामले में एक बार फिर फंस गई है।

ऐसे में मुख्यमंत्री को आपराधिक प्रवृत्ति वाले मंत्री को तुरंत बर्खास्त कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि प्रदेश के अनेक मंत्री और बसपा विधायक हत्या, बलात्कार, भ्रष्टाचार और जमीनों पर अवैध कब्जे के अनेक गंभीर मामलों में लिप्त हैं। ये सभी लोग मुख्यमंत्री मायावती के करीबी और बसपा के नीति निर्धारक हैं।

मदान ने भ्रष्टाचार और हत्या के आरोपों से घिरे प्रदेश के पूर्व दुग्ध विकास मंत्री अवधपाल सिंह यादव का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि लोकायुक्त द्वारा प्रदेश के कई मंत्रियों को बार-बार नोटिस जारी किए जाने के बावजूद राज्य सरकार न सिर्फ भ्रष्टाचारियों का बचाव कर रही है बल्कि उन्हें बढ़ावा भी दे रही है।