बेसिक शिक्षा: नगर में भी 2-2 घंटे देर से पहुचते हैं मास्टर

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फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राथमिक शिक्षा लूटतंत्र का सबसे बड़ा जाल बन चुका है| मास्टर तो गायब, किताबे तो गायब, मिड डे मील के ठन्डे पड़े चूल्हे| ये सब इस बात के संकेत लगते हैं कि प्रदेश की मुख्यमंत्री को सिर्फ अपनी जाति के वोटो की तो चिंता हैं मगर उनके भी नौनिहाल पड़ लिख कर गरीबी स्वयं दूर कर सके इस बात के लिए बिलकुल भी संजीदा नहीं है| जनपद फर्रुखाबाद को ही ले लो| जिले का बेसिक शिक्षा अधिकारी समय से हर प्रकार की घूस का हिस्सा अगर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री, बेसिक शिक्षा के उच्चधिकारियो और मुख्यमंत्री के विशेष कुनबे तक पहुचता रहे तो क्या मजाल उसका कोई बाल भी बांका कर सके| जिले में सैकड़ो स्कूल के ताले तक नहीं खुलते मगर साहब को कोई मतलब नहीं| इतना ही नहीं नगर मुख्यालय तक के स्कूलों से न केवल मास्टर गायब हैं बल्कि अधिकांश तो समय से स्कूल जाने में अपनी तौहीन समझते हैं| सोचो वो गरीब और दलित व् पिछड़े वर्ग के बच्चे जिनके पास एक मात्र सहारा सरकारी स्कूल में शिक्षा पाना है उनके साथ कितना न्याय कर पा रही है प्रदेश की बसपा सरकार|

गुरूवार तारीख 2 सितम्बर 2011 समय 7.20 बजे जेएनआई का रिपोर्टर फर्रुखाबाद फतेहगढ़ मुख्य मार्ग पर स्थित कन्या प्राथमिक विद्यालय बढ़पुर में पहुचता है| स्कूल में सहायक शिक्षिका मनोरमा कनोजिया बच्चो को प्रार्थना करवा रही थी| स्कूल की हेड टीचर रेशमा बानो 7.40 तक स्कूल में नहीं पहुची|
जेएनआई के रिपोर्टर ने अगला पड़ाव 7.50 पर प्राथमिक विद्यालय मसेनी में डाला| सहायक शिक्षिका मिनाक्षी के दर्शन 7.55 तक नहीं हो पाए| इसी विद्यालय की शिक्षा मित्र आशा शाक्य जरूर भागती हुई स्कूल आती दिखी तब तक घडी में 8 बज चुके थे| मौके पर मौजूद हेड अंजू कटियार व् सहायक शिक्षिका साधना दीक्षित ने बताया सहायक अध्यापिका सुमन लता मेडिकल लीव पर हैं|

रिपोर्टर की गाडी जूनियर विद्यालय दीन दयाल बाग़ पहुचती है जहाँ का नजारा कुछ अलग नजर आया| एक अकेली शिक्षिका पुष्पलता वर्मा जो कि विद्यालय की हेड भी है बच्चो को घेरे बैठे थी| तक समय घडी में 8.10 का समय हो चुका था| नाम मात्र के बच्चे देख सवाल दागा कि इतने कम बच्चे क्यूँ| उत्तर बड़ा साधा एवं व्यवहारिक आया बच्चे धीरे धीरे 10 बजे तक आते है| जब शिक्षक ही लापरवाह हो तब बच्चे तो वही अनुसरण करेंगे| इस विद्यालय में रामबेटी ओझा, शिखा सक्सेना और पुष्पलता मिश्र की तैनाती बताई गयी| स्कूल से नदारद होने के सवाल पर हेड ने बताया कि तीनो शिक्षिकाएं वोट गिनने (बीएलओ) गयी है|

इसके बाद जेएनआई रिपोर्टर ने गाडी तो दौडाई मगर तब तक घडी में 9 बज चुके थे| जहाँ जहाँ हमारा घूमना फिरना हुआ उन स्कूलों की मैडमो ने स्कूल से निकलते ही पहला काम जो किया वो आस पास के स्कूलों में ये बताना कि जेएनआई के रिपोर्टर स्कूल स्कूल छापमारी कर रहे हैं| फिर क्या था जहाँ पहुचे सब कुछ सही हो चुका था|

रिपोर्ट- रोबिन कपूर