तैयार रहें सरकार के धोबी पाट के लिये अन्ना

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फर्रुखाबाद: विगत 42 वर्षों से लोकपाल के नाम पर लुका छिपी का खेल खेल रही राजनैतिक पार्टियों से इतनी जल्दी हाथ पांव छोड़कर जनलोकपाल पर सहमत हो जाने से पुलकित अन्ना समर्थकों के लिये मेरी व्यक्तिगत चेतावनी है कि उनको आगामी छह घंटों के भीतर ही किसी बड़े धोबी पाट दांव के लिये तैयार रहना चाहिये। सरकार व विपक्ष ने भले ही जनलोकपाल बिल पर लोकसभा में बहस के लिये सहमति जता दी है। परंतु इसके पीछे के गेमप्लान को सामने आने में अभी चार से छह घंटे लग सकते हैं।

राजनैतिक पार्टियां का संचालन करने वाले सांसद विधायक हैं। इनको मालूम है कि आगामी आधी सदी तक तो कम से कम इनके या इनके वारिसों के राजनैतिक साम्राज्य पर कोई संकट आने वाला नहीं है। जाहिर है कि यदि जनलोकपाल बिल कानून बन जाता है तो सर्वाधिक संकट उनके या उनके राजनैतिक वारिसों के सामने ही आना है। एसे में इसे कानून बनने देने के रास्ते यदि मौजूदा सांसद कोई रोड़ा ने अटकायें यह मुश्किल ही नहीं असंभव भी है।  आप इसे निगेटिव एप्रोच भी कह सकते हैं। परंतु मेरा मानना है कि अति आत्मविश्वास से बेहतर यह होता है कि युद्ध में हमकों सर्वाधिक बुरी स्थिति के लिये तैयार रहना चाहिये।

संसद में चर्चा के बहाने यदि अन्ना चाहें तो वह अपना अनशन समाप्त कर सकते हैं, परंतु उनको आंदोलन को अगले चरण तक ले जाने के लिये तैयार रहना चाहिये। आंदोलन को दिल्ली तक सीमित करने के बजाय अब इसके व्यापक बनाने का समय आ गया है। आंदोलन को जिलों तक ले जाना होगा। इससे जहां आंदोलन को एक नया आयाम मिलेगा, इससे राज्य स्तर पर सत्ता में बैठी राजनैतिक पार्टयों की कथनी व करनी का अंतर भी खुल कर सामने आ जायेगा।