यूआईडी के आधार पर पंचायतें रखेंगी बच्चों की शिक्षा का रिकार्ड

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फर्रुखाबाद: छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को बुनियादी शिक्षा के दायरे में लाने के लिए लागू किये गए शिक्षा के अधिकार कानून को अमली जामा पहनाने में ग्राम पंचायतों, नगर पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों की भी भूमिका होगी। ग्राम पंचायतें और नगरीय निकाय अपने अधिकार क्षेत्र में सर्वेक्षण कराकर बच्चों के जन्म से लेकर उनके 14 वर्ष की तक की आयु प्राप्त होने तक का रिकॉर्ड रखेंगे। यह रिकॉर्ड हर साल अपडेट किया जाएगा। यह रिकार्ड यूआईडी (विशेष पहचान पत्र) के माध्यम से रखा जायेगा।

उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के अनुसार यह ब्योरा एक निर्धारित प्रपत्र पर होगा, जिसमें बच्चे का नाम, लिंग, जन्मतिथि और जन्म स्थान का विवरण होगा। बच्चों के अभिभावक का नाम, पता और व्यवसाय का जिक्र होगा। उस पूर्व प्राथमिक विद्यालय या आंगनबाड़ी केंद्र का उल्लेख भी होगा, जहां बच्चा छह वर्ष तक की आयु प्राप्त होने तक रहा हो। इस ब्योरे में उस प्रारंभिक विद्यालय का नाम भी शामिल होगा जिसमें बच्चे ने प्रवेश लिया हो। रिकॉर्ड में बच्चे का वर्तमान पता और वह किस कक्षा में पढ़ रहा है, यह भी दर्ज होगा। बच्चा यदि कमजोर और साधनहीन वर्ग से ताल्लुक रखता है, तो रिकॉर्ड में यह भी उल्लेख होगा। यदि किसी वजह से छह से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे की पढ़ाई छूट गई हो, तो रिकॉर्ड में उस कारण का भी जिक्र होगा। विकलांगता के कारण विशेष सहूलियतों और आवासीय सुविधाओं की अपेक्षा रखने वाले बच्चों का भी विवरण होगा। नियमावली के अनुसार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी छह से 14 वर्ष तक के हर बच्चे का स्कूल में नामांकन और उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे। वह यह भी सुनिश्चित करेंगे कि बच्चा स्कूल में दिये जा रहे ज्ञान को आत्मसात कर रहा है और उसने प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर ली है। इन बातों पर नजर रखने के लिए हर बच्चे को एक अनन्य पहचान संख्या (यूनिक आईडेंटीफिकेशन नंबर) आवंटित की जाएगी।

ग्राम पंचायतें और नगरीय निकाय यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले स्कूलों में पंजीकृत सभी बच्चों के नाम विद्यालय में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किये जाएं। वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की यह जिम्मेदारी होगी कि बच्चों के बारे मे अद्यतन जानकारी जिले की वेबसाइट पर प्रदर्शित करे। नियमावली में यह भी व्यवस्था है कि जब कभी जन्म, मत्यु और विवाह रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के अधीन कोई प्रमाणपत्र उपलब्ध न हो तो स्कूलों में प्रवेश के लिए चार दस्तावेजों को बच्चे की आयु के प्रमाण के रूप में समझा जाएगा। इन दस्तावेजों में अस्पताल या सहायक नर्स व मिडवाइफ पंजिका अभिलेख, आंगनबाड़ी का अभिलेख, जन्म व मृत्यु संबंधी ग्राम पंजिका और माता-पिता द्वारा बालक की आयु का शपथपत्र शामिल है।