शातिर दिमाग शिक्षक- स्कूल नहीं खुलता मगर ब्लैक बोर्ड पर हाजिरी लगी मिलेगी

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फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में बड़े बड़े शातिर दिमाग लोग भरे पड़े हैं| जनपद के कायमगंज ब्लाक मंसूरपुर प्राथमिक विद्यालय में बच्चे भले ही न आते हो, कमरे भले ही न खुलते हो मगर ब्लैक बोर्ड पर ताज़ी तारीख के साथ आज का विचार और शिक्षा मित्र का नाम जरुर लिखा मिलेगा| ग्रामीणों के अनुसार शिक्षिका संगीता तो कभी आती नहीं और शिक्षा मित्र वंदना स्कूल में आकर ब्लैकबोर्ड पर आज का विचार और तारीख कुछ इस तरह दर्ज कर जाती है जैसे स्कूल खुला बच्चे आये और पढ़ कर चले गए|

यकीन नहीं आता तो खबर लिखने से ठीक आधा घंटे पहले का नजारा देखिये- जेएनआई के रिपोर्टर ने गाँव पहुच कर मोबाइल से स्कूल और ग्रामीणों के फोटो एमएमएस से भेजे हैं| अभी स्कूल बंद होने का समय नहीं हुआ है| और स्कूल का नजारा देख लीजिये| ये खबर उन लोगो के मुह पर तमाचा है जो खुद को अधिकारी कहते है और शिक्षा विभाग को चलाने का वेतन उठाते है| अखबार में खबर छपी खबर पर ज्यादा से ज्यादा जाँच बैठा देते हैं और फिर जाँच के नाम पर वसूली कर लेतें हैं| नौनिहालों और जनता के साथ ऐसा धोखा करने वालो के लिए ही इंटरनेट की तकनीक से जेएनआई ग्रामीण इलाको में काम करने उतरा है| देखो लो नजारा-



ये स्कूल कायमगंज ब्लाक की ग्राम सभा जिजपुरा के गाँव मंसूरपुर का है| दीवालों को धुंधला पड़ता लिखा जो दिख रहा है उसके मुताबिक कोई संगीता यहाँ इंचार्ज सहायक अध्यापक है और वंदना गौतम शिक्षा मित्र| बाकी के बारे में कुछ भी अंकित नहीं| इस ग्राम सभा के प्रधान सर्वेश है| स्कूल में 139 बच्चे पंजीकृत है और खाना 172 तक खा रहे है| जाहिर है प्रधानजी की भी इन सब कारनामो में मिलीभगत है| ऐसा प्रधान जो गाँव के बच्चो के बारे में ऐसा सोचता है कितना उचित है?

ये तस्वीरे 4 अगस्त 2011 की सुबह लगभग 10 बजे की है| साफ़ है स्कूल में ताला है| पंजीकृत 139 बच्चो में से एक भी बच्चा स्कूल में नहीं आया| खबर लिखने के समय तक भी स्कूल बंद होने का समय नहीं हुआ है और स्कूल में पड़ा ताला शिक्षा विभाग को सँभालने वाले अधिकारीयों के मुह पर तमाचा सा जड़ रहा है|
अब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी इस पर क्या कहेंगे? उन्हें जानकारी नहीं है| कोई शिकायत नहीं हुई| चलो ये काम जे एन आई मीडिया खुले आम कर रहा है इन ग्रामीणों के मुह से जो तस्वीरो में मौजूद हैं, इसी गाँव के है-
अनिल- मास्टरनी स्कूल नहीं आती न खोलती है|
मुन्ना लाल- साहब एक मास्टरनी है उनको नाम नाही मालूम वे कभी शाम को आती है कभी सुबह और कुछ लिख जाती है| साहब बच्चा नाही पढ़ाती|

इस हाल पर क्या कहोगे- बेसिक शिक्षा अधिकारी कौशल किशोर साहब| है दम कुछ कौशल दिखाने का या यूं मुफ्त का वेतन लेते रहोगे| मत भूलो हम जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स से ही तुम्हे वेतन मिलता है इसलिए ये पूछने का हक़ संवैधानिक हम आम जनता को भी मिला है|