सवा दो बजे लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने यशवंत सिन्हा पर जवाबी हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार को उम्मीद थी कि यशवंत सिन्हा मार्गदर्शन करेंगे, लेकिन बड़े खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। हमें उम्मीद थी कि विपक्ष हमें कुछ सुझाव देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेकिन मुझे लगता है कि भविष्य में हमें अच्छे सुझाव मिलेंगे।
खुर्शीद ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने ५० लाख टन अनाज गरीबी रेखा, इतना ही अनाज गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के बीच बांटा है। जबकि ५० लाख टन अनाज सुरक्षित रखा गया है। हम यह न मानकर चलें हर साल फसल अच्छी होगी। दिसंबर, २०१० के बाद से महंगाई बढ़ी है। लेकिन अच्छे मॉनसून के बाद इसमें गिरावट आएगी।’
केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘सभी उभरती अर्थव्यवस्थाएं महंगाई से जूझ रही हैं। महंगाई को लेकर दुनिया के कई देशों से बेहतर तरीके से हमारी सरकार ने मुकाबला किया है। अगर हम सरकारी घाटे को रोक देते तो बेरोजगारी बढ़ने का खतरा था। हां, विकास के साथ चलने पर महंगाई कुछ बढ़ी है। लेकिन आज का सच यही है। इसके साथ ही में जीना सीखना होगा।’ वहीं, खुर्शीद ने औद्योगिक उत्पादन, सेवा क्षेत्र और जीडीपी के मामले में सरकार की पीठ खुद थपथपाई। लेकिन यह भी कहा कि हम इससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक पांच करोड़ लोगों के गरीबी रेखा के नीचे चले जाने की बात है तो हमें इस आंकड़े को देखना होगा।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था से अलग रहकर वजूद बनाए रखना मुश्किल है। चीन ने ऐसा करने की कोशिश की थी, लेकिन अंत में उन्हें विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) का सदस्य बनना पड़ा और जिसमें भारत ने उनकी मदद की है। भारत की अपनी सोच और पहचान हैं। बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं जहां सरकार का नियंत्रण जरूरी है। वहीं, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां सरकार की दखलंदाजी कम से कम है।
इसी दौरान सलमान खुर्शीद ने इशारों-इशारों में सशक्त लोकपाल विधेयक की मांग कर रहे सिविल सोसाइटी के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे पर कटाक्ष किया कि कुछ लोग कहते हैं कि देश के फैसले अब संसद में न लिए जाएं बल्कि बाहर कोई और ये अहम फैसले ले। लेकिन सरकार यह साफ करना चाहती है कि संसद के अधिकारों के साथ कभी भी समझौता नहीं किया जाएगा और इस मामले में हम सब साथ हैं।