फर्जी स्कूल बने हैं स्कूल-चलो अभियान में रोड़ा

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बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूल चलो अभियान में फर्जी स्कूल रोड़ा बन रहे हैं। इन स्कूलों की वजह से सरकारी स्कूलों में बच्चों का शत प्रतिशत नामांकन नहीं हो पा रहा है। प्रत्येक वर्ष शैक्षिक सत्र के प्रारंभ में प्राइमरी स्कूलों में बच्चों का नामांकन तो अच्छा होता है, लेकिन यह नामांकन संख्या प्रत्येक वर्ष घटते-घटते 65 से 70 फीसदी रह जाती है। शासन के निर्देशों के अनुपालन में शिक्षा विभाग गांव-गांव में स्कूल चलो अभियान को सफल बनाने के लिए रैलियों का आयोजन कर रहा है। विभागीय अधिकारी, कर्मचारी एवं अध्यापक अभिभावकों से सम्पर्क कर सरकारी स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं का बखान कर बच्चों का प्रवेश प्राइमरी स्कूलों में कराने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी शत प्रतिशत नामांकन नहीं हो पा रहा है।

विभाग के इस अभियान में जिले के फर्जी स्कूल रोड़ा बन रहे हैं। बताते चलें कि जिले के प्रत्येक शहर व गांव में बिना मान्यता के दर्जनों स्कूल चल रहे हैं। हालांकि शिक्षा का अधिकार कानून में ऐसे विद्यालय संचालकों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान है, लेकिन इसके बाद भी विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। यह स्तिथि तब है जबकि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत बिना मान्यता के स्कूल संचालित करने वालों के लिए दंड की कड़ी प्रक्रिया है। विभागीय जांच में यदि विद्यालय संचालित पाया जाता है तो इसके लिए एक लाख रुपये जुर्माने का प्राविधान है। यदि फिर भी विद्यालय संचालित रहता है तो दस हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना वसूलने का नियम है।