फर्रुखाबाद परिक्रमा: मिशन में बड़े बड़े निपट गए, तुम्हारा क्या होगा अंटू भैया ?

EDITORIALS

ताता थैया – तुम्हारा क्या होगा अन्टू भैया !

मुंशी हर दिल अजीज और मियाँ झान झरोखे आज बड़े प्रेम से चौक की पटिया पर बैठे बात चीत में मशगूल थे| मुंशी बोले मियाँ कितना भी अच्छा वक्त हो किसी को इतराना नहीं चाहिए| परन्तु हमारे अन्टू भैया अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदी भाजपा के दिग्गज नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की ह्त्या के सिद्ध दोष अभियुक्त से अपने आपको बड़ा गुंडा सार्वजनिक रूप से कहते नहीं थकते थे|

मियाँ झान झरोखे मुंशी हर दिल अजीज की बात को आगे बढ़ाते हुए बोले इस मामले में अन्टू कितने सही और कितने गलत हैं यह तो अन्टू जाने| परन्तु अपने विधान सभा क्षेत्र और जिले में स्वास्थय एवं चिकित्सा सेवाओं की उनके कार्य काल में जो दुर्दशा हुयी है उसका कीर्तिमान निकट भविष्य में टूटना असंभव ही प्रतीत होता है|

मुन्शी बोले पता नहीं मियाँ हमारे माननीय सफलता की एक दो सीढियां चढ़ते ही मदहोश क्यों हो जाते हैं| लोगों ने बड़ी उम्मीदों से और संभवता न चाहते हुए एक कथित हत्यारे के मुकाबले आपको चुना| परन्तु आप अपने विभाग और जनता की बेहतरी के लिए सच्चे मन से कुछ कार्य करने के स्थान पर अपनी शेखी बघारने और लूट घोटालों में ही लगे रहे|

मियाँ झान झरोखे बोले क्या कहते हो मुंशी राजनीति अब सेवा का मिशन नहीं रही| धंधा हो गयी है धंधा और वह भी काला धंधा| सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल को कूड़ेदान में परिवर्तित करने और बदहाली अव्यवस्था का नायाब नमूना बनाने की कार्य पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और उस्ताद से भी बड़े गुंडे अपने अपने अन्टू मिश्रा के कार्यकाल में ही हुआ|

मुंशी बोले बेशर्मी और बेहयाई का बोल बाला है| हमारे माननीयों को कभी भी इस अस्पताल के सही ढंग से संचालित करने कराने की चिंता नहीं रही| लोहिया अस्पताल के आसपास कुकुरमुत्तों की तरह नर्सिंग होम अस्पताल के डाक्टरों की मेहरबानी से फल फूल रहे हैं| वही लोहिया अस्पताल में वेशकीमती मशीने बिना खुले धुल खा रही हैं| पूरा का पूरा अस्पताल एक नहीं अनेक गंभीर रोगों का शिकार हो गया है|

मियाँ बात को आगे बढाते हुए बोले मजे की बात तो है ही कि डॉ लोहिया अस्पताल से मात्र पचास कदम की दूरी पर डॉ लोहिया आदम कद प्रतिमा स्थापित है| सौ कदम की दूरी पर समाजवादी पार्टी का कार्यालय है| जहां से आयेदिन हर रोज जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है की आवाजे बुलंद होती रहती है| जिसके तिसके पुतले फुंकते रहते हैं| यही लोहियापुरम जिसे शहर की पाश कालोनी का दर्जा हासिल है में विधायक, पूर्व विधायक, प्राचार्य, चिकित्सक, अधिवक्ता हर राजनैतिक दल के नेताओं सहित बड़े-बड़े तीसमार खां रहते हैं| परन्तु अन्टू भैया के अपने आपको सबसे बड़ा गुंडा बनाने की हनक के बीच डॉ लोहिया अस्पताल का कबाड़ा होता रहा| आखिर बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधता| जब मंत्री के विधान सभा क्षेत्र का हाल यह है| तब फिर पूरे प्रदेश के हाल का जायजा लेना कठिन नहीं है|

लेकिन समय बहुत बलवान है| भिल्लन लूटी गोपियाँ वही अर्जुन वहीं बाण| मियाँ को समझाने के अंदाज में मुंशी बोले प्रदेश की राजधानी में दो मुख्य चिकित्सा अधिकारीयों की निर्मम ह्त्या और उप मुख्य चिकित्साधिकारी की लखनऊ जेल में हुई ह्त्या भी यही बताती है कि पूरा का पूरा स्वास्थ्य विभाग अपने अन्टू भैया की रहनुमाई में बहुत ही नायाब चीज है|

अब अन्टू भैया पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हैं| पैदल होने के बाद वकौल मियाँ झान झरोखे वह अपने विधान सभा क्षेत्र में अभी तक पधारने की हिम्मत नहीं जुटा सके| मियाँ बोले मुंशी जी अब तो सीबीआई जांच और राष्ट्रीय ग्रामीण मिशन ( NRHM ) घोटालों या लूट की जो जानकारियाँ पर्त दर पर्त खुलकर सामने आ रही है उनके चलते बहन जी अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में अन्टू भैया को ” लूट केशरी या घोटाला केशरी” के सम्मान से नवाजने का निर्णय कर लें तब शायद ही किसी को आश्चर्य हो| पांच वर्षों में तीन हजार करोड़ रुपया इधर उधर हो गया| बन्दर बाँट होता रहा| विभाग के मुखिया अपने अन्टू भैया को भनक तक नहीं लगी| शौंचालय घोटाला, कचरा घोटाला, नियुक्त घोटाला, एम्बुलेंस  घोटाला जैसे अनगिनत घोटालों के चलते पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के विधान सभा क्षेत्र के लोग बात बात में कहने लगे हैं| ताता थैया, तेरा क्या होगा अन्टू भैया !

मुंशी बड़ी ऊंची बात कहने के अंदाज में गंभीर हो कर मियाँ झान झरोखे से बोले मियाँ इसे भी सयोंग या वास्तविकता नहीं अवसरवादिता की पराकाष्ठा ही समझा जाना चाहिए| जिन ब्राह्मणों को बहन जी का हितैषी और उन्हें सिंहासन पर बैठाने का श्रेय दिया जाता था उन्ही ब्राह्मणों को बांदा, औरैया, लखनऊ, कानपूर, फर्रुखाबाद, हरदोई आदि जिलों की शर्मनाक घटनाओं के बाद बहन मायावती को बदनाम करने के आरोप से चुनाव की आहात के साथ नवाजा जाने लगा है| अब बताईये यह समय का फेर है या नहीं| अब तो व मुश्किल तमाम हाई स्कूल पास करके मीडिया की मेहरवानी से उस्ताद बन गए पूर्व विधायक विजय सिंह भी गाहे बगाहे कहने लगे हैं| तेरा क्या होगा मेरे से भी बड़े गुंडे|

मियाँ बोले सच ही कहा है –

किसी को क्या पडी सोंचे तुझे नीचा दिखाने को,

तेरा आमाल काफी है तेरी हस्ती मिटाने को|

म्यानों से बाहर निकलने लगी जातिवाद की तलवारें-

जैसे जैसे विधान सभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं जातिवाद की तलवारें म्यानों से बाहर निकलने लगी हैं| जातिवाद के बल पर राजनीति और सत्ता की मलाई खाने वाले नेता यह बताने में कोई कमी नहीं रखते कि अपनी बिरादरी के सबसे बड़े नेता वह स्वयं ही है| उनके मुकाबले अन्य सजातीय नेता या संग में भी नहीं है|

यह बीमारी अब घरों तक पहुँच गयी है| भाजपा एक दिग्गज नेता अपने पुरुषार्थ के बल पर बुलंदियों पर पहुंचे| अपनी सफलता के अनुसार ही वह ब्राह्मण समाज के अगुआ कार बन गए| अब उनकी बिरासत और बिरादरी को लेकर उनके पुत्र और भतीजों में खुली जंग है| सबकी राजनैतिक महत्वकाक्षाएँ हैं| कोई भी पीछी हटने को तैयार नहीं है| पिता की बिरासत और कई पार्टियों का अनुभव बटोरे एक नेता जी अपने आपको अपनी बिरादरी का शिरोमणि मानते हैं| भाजपा छोड़कर गये थे पिछले माह फिर भाजपा में आ गए| लेकिन इस बार नजारा बदला हुआ है| भाजपा में ही कई सजातीय दावेदार लाइन में लगे हैं| देखना है जूतों में दाल बंटती या तलवारे म्यानों से निकलती हैं| सपा, बसपा, भाजपा में अपने आपको अपनी जाति का सबसे बड़ा नेता सिद्ध करने की होड़ मची है|

लोक सभा चुनाव में एक ही जाति के तीन दिग्गज नेता एक ही पार्टी में थे| परन्तु जिस प्रत्याशी का यह लोग समर्थन कर रहे थे वह बेचारे तीसरे स्थान पर रहे| उनके चमचे उन्हें अपराजेय सांसद का खिताब देते नहीं थकते थे| उस समय इसी जाति की एक अन्य नेता अपनी दुकान ( पार्टी ) चला रही थी| साध्वी और फायर ब्रांड कही जाने वाली सन्यासिनी घूम फिरकर पुनः अपनी पार्टी ( भाजपा ) में आ गईं हैं| बैरियर तोड़ बाबा भी अब भाजपा में आ गए हैं| कहने का मतलब यह है कि कभी यह पांचो नेता एक दूसरे पर जान छिडकते थे| आपस में घनघोर प्रेम भाव और भाई चारा था| इन सबके सर्व मान्य नेता थे| राम लाला से टेलीफोन पर बात करने वाले नेता| उनके स्वयं के कथानुसार अन्य सजातीय नेताओं की सभाओं में उतने भी लोग नहीं जुटते जितने लोग उनके साथ मूंगफली खाने निकलने पर जुट जाते हैं| साइकिल पर सवार एक सजातीय नेता को यह बात बर्दास्त नहीं हुयी| आनन्-फानन पत्रकार वार्ता बुलाकर राम लला से टेलीफोन पर बात करने वाले सजातीय नेता को खरी खोटी सुना दी| तेज तर्रार और महिला कल्याण के लिए बिख्यात साइकिल सवार नेता ने फरमाया इतने ही तीरंदाज थे तब फिर धीरपुर नरेश तीसरे नंबर पर कैसे पहुँच गए ? बात सही भी थी परन्तु दोहरी मार करने वाली थी| बैरियर तोड़ बाबा की उंगली पकड़कर राजनीति में आये एक सजातीय नेता ने पलटवार किया| हमारे नेता के करते कुछ नहीं बना लेकिन तुमने क्या तीर मार दिया| तुम भी तो धीरपुर नरेश की मुंह बोली जिज्जी हो| अभी इस पैतरेबांजी और बयानबाजी में और नए गुल खिलेंगें| जातिवाद का यह नंग नाच मिशन 2012 तक इतना खराब हो जाएगा कि भले आदमी को आँख कान बंद करने में ही अपनी भलाई नजर आयेगी| यह खेल अब राष्ट्रीय प्रांतीय दलों से लेकर क्षेत्रीय और विशुद्ध रूप से जाति आधारित दलों में दिन दूनी रात चौगुनी की दर से बढ़ रहा है|

समायोजन न सही प्रमोशन तो होगा- लूट सके तो लूट–

शिक्षा विभाग भी भ्रष्टाचार की मैराथन दौड़ में निरंतर आगे बढ़ रहा है| नई नई योजनाओं और कार्यक्रमों में पैसा बरस रहा है| जमकर लूट हो रही है| चौथ खम्बे के कुछ महारथी इस चीर हरण के खेल में या तो दुशासन की तरह सक्रिय हैं या भीष्म पितामह की तरह असहाय होकर देख रहे हैं| पैसे टेक के लेन देन की बातें अब बिना झिझक बेशर्मी से होती हैं| ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल तो अब बारह महीनों तीसों दिन चलता है| डाक्टर साहब ने अब खुलकर अपना कौशल दिखाना प्रारम्भ कर दिया है| विज्ञान और गणित कित, मिड डे मील , चाहर दीबारी, अतिरिक्त कक्ष, साज सज्जा आदि को लेकर अब कोई डरता नहीं झेपता नहीं| अपने अपने कारणों से माननीय और माननीय बनने की लाइन में लगे लोग भी पंगा लेने से डरने लगे हैं| नतीजतन बहन जी के कार्यकाल के अंतिम वर्ष के अंतिम चरण में सब पैसा बनाने में लगे हैं| पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी की सम्मान जनक वापसी के बाद अब किसी को निलंबन जांच और कार्यवाही का डर नहीं रहा|

अभी हाल की ही बात है समायोजन के नाम पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के सिंडीकेट ने कथित रूप से बीस लाख रुपये की बसूली की| अनुमोदन करने वाले अधिकारी ने उसका उचित हिस्सा न मिलने पर आपत्ति लगाकर सूची वापस कर दी| बात उजागर हुयी तब पैसा देने वालों ने सिंडीकेट के सदस्यों से अपना पैसा वापस मांगना प्रारम्भ किया| अब उन्हें समझाया जा रहा है| समायोजन न सही प्रमोशन भी तो होना है| अब प्रमोशन की सूची बन रही है इसलिए समायोजन में रुपया देने वाले प्रमोशन की सूची का इन्तजार करो और प्रमोशन चाहने वाले अपने कार्यों के लिए पैसे का प्रबंध करो| अंत समय में पछताना न पड़े इसलिए सब लूटने में लगे हैं| लूट के इसी क्रम में विगत वर्षों की तरह ही शहर की शिक्षिकाएं कायमगंज स्थानांतरित कर दी गयीं| एक माह का वेतन चढाओ सब सही हो जाएगा|

मोहन प्यारे- कोटि मनोज लजावन हारे!

मंच हो या रंग मंच अच्छा कलाकार हर जगह रंग जमा लेता है| जेब भी प्रभु की कृपा से गर्म हो तब तो फिर सोने में सुहागा| उस्ताद को जमीन सुंघाकर रातोरात हीरो बन गए| रोटी कपड़ा और मकान के मनोज कुमार फिर हांथी पर बैठकर साइकिल को जमीदोज कर दिया| रातोरात यह गंगा किनारे वाला छोरा ऊपर से मैदा की लोई की तरह गोरा| बातों में मिश्री और शिष्टाचार में कहने ही क्या? शीघ्र ही टॉप तें में टॉप हो गए| इसी बीच मोहन प्यारे को ” फर्रुखाबाद विकास ” का सपना आया| धुन के पक्के वचपन से रहे| कभी हरदोई नरेश के कृपा पात्र फिर साइकिल के रक्षक फिर इस्क्की उसकी शरण में| परन्तु बात कहीं बनी नहीं| लगभग सभी ने इस्तेमाल किया| हारकर एकला चलो की तान के साथ विकास मंच पर आ गए और छा गए| सबसे पहले तो उस्ताद को पछाड़ा टेलीफोन बिजली का पोल दीवाल हाट बाजार का शायद ही कोई कोना अधूरा रहा हो जहां पर मुस्कराती मोहिनी सूरत टंगी न हो| सावन है, नवरात्रि है, ईद है, होली है और क्या क्या| कोई कलेंडर पंचांग देखने की जरूरत नहीं| घर से बाहर निकलिए और मोहन प्यारे की मन मोहिनी सूरत के साथ उस पर्व की बधाई स्वीकार करिए जिसे आप जानना चाहते हैं| अरे फटीचर पने की बात मत करो| इन सब पर कितना खर्चा आ रहा है| मोहन भैया यह भी कोई बात है अपने जिले के विकास के लिए पैसा क्या चीज है प्राणों की बाजी लगा देंगें| एक चमचे ने नारा लगाया मोहन भैया की जय| पत्रकार वार्ता हुयी – भ्रष्टाचार में सबको पछाड़ देंगें| नगर पालिका को भी, विधान सभा को भी| रामलला के जिगरी दोस्त की दुकान पर सौदा लेना कोई बेमतलब शुरू नहीं किया| दाढी मूंछ चस्मा सब गायब कर देंगें| न हार मानी है और न ही मानेगें| देखो देखो हम फिर कहते हैं हमसे मत टकराना हमारे पीछे है सारा ज़माना|

और अंत में- तुलसी तहो न जाईये………………..

विध्न संतोषियों की क्या कहो दूसरे का मान सम्मान देखा ही नहीं जाता| नीव करोरी आश्रम के महंत को ही फंसा दिया| सारे जीवन जहां मन वचन कर्म से तपस्या साधना की| वहां दुष्कर्म करने की बात करने में शैतान तक शर्मायेगा| पुलिस ने सही बता कही तब लखनऊ बड़े दरबार में और जिलाधिकारी के दरबार में पहुँच गए| जाने कितने हाकिम, जनसेवक, जन प्रतिनिधि सेठ, साहूकार, महंत जी का आशीर्वाद पाकर निहाल हो गए| ज्यादा कुछ जानना हो गाडी पकड़ो कायमगंज चले जाओ| चौथे खम्बे के एक सूरमा से जान लो जिनका क्लोज सर्किट कैमरा बाबा नीव करोरी आश्रम को ही फोकस किये रहता है|

सही कहा है हवन करते हाँथ जलता है| अब रिपोर्ट लिखी है डाक्टरी होगी जांच होगी, पूंछतांछ होगी| जो आशीर्वाद पाने के लिए घंटो धूप में लाइन लगाए खड़े रहते थे| वही अब हिसाब किताब मांगेगें| पुलिस का क्या कब पहरा देने लगे और कब हमलावर हो जाए| बाबा रामदेव का हाल देखकर कंपकपी छूटती है| देखो ज़रा हिमाकत देखो कल तक जय जयकार हो रही थी| गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं| महंत जी पर हमलों पर हमले उनकी कीर्ति पताका के दुश्मन कर रहे हैं| यही सब देख सुनकर वर्षों पहले तुलसी दास ने कहा होगा ———

तुलसी तहां न जाईये, जहां अपनों गाँव,

गुन अवगन समझत नहीं लेत पुरानों नाम|

जय हिंद………………………..

(लेखक वरिष्ट पत्रकार के साथ वकील व समाजवादी चिंतक है)

प्रस्तुति-

सतीश दीक्षित (एडवोकेट)
1/432, आवास विकास कालोनी फर्रुखाबाद

पाठक अपनी प्रतिक्रिया satishdixit01@gmail.com or jninews@gmail.com पर भी भेज सकते है