लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब सिपाही से लेकर इंस्पेक्टरों को एक स्थाई नम्बर दिया जाएगा। पूरी सेवा के दौरान यह नम्बर नहीं बदला जाएगा। पुलिस कर्मियों को पहचान का यह नम्बर नेम प्लेट पर लिखाना भी जरूरी होगा। नम्बर के आधार पर ही पुलिसकर्मी की तबादला पोस्टिंग होगी और वेतन मिलेगा। योजना इसी महीने शुरू होगी, अगर किसी ने इस माह के अंत तक नम्बर नहीं लिया तो अगस्त में उसे वेतन शायद ही मिले।
डीजीपी करमवीर सिंह ने सूबे के सभी पुलिसकर्मियों को इस माह के अंत तक तैनाती के जिले में यह नम्बर लेने का फरमान जारी किया है। पुलिस तकनीकी सेवाएं महकमे ने नामिनल रोल सिस्टम के तहत सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर का व्यक्तिगत ब्योरा कम्प्यूटर में दर्ज पर्सनल नम्बर तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है।
हर जिले के पुलिस कप्तान को इसके लिए साफ्टवेयर दिया गया है। जिसमें जिले में तैनात सिपाही, मुख्य आरक्षी, दारोगा व इंस्पेक्टर की शिक्षा, जाति, ब्लड ग्रुप, नौकरी ज्वाइन करने की तिथि, क्या-क्या ट्रेनिंग की, उम्र क्या है, किस-किस जिले में रहा, कभी निलम्बित हुआ या नहीं से लेकर 40 सूचनाएं दर्ज की जा रही है। सूचनाएं साफ्टवेयर में दर्ज होते ही एक पर्सनल नम्बर एलाट हो जायेगा। यही नम्बर पुलिसकर्मी की पहचान होगा।
डीजीपी से लेकर जिले के एसपी इसके तहत उक्त पुलिसकर्मी का तबादला पोस्टिंग करने का निर्णय आसानी से ले सकेंगे। अभी सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर को जिले में तैनात करते हुए उन्हें जिला पुलिस का एक नम्बर दिया जाता था। तबादला होने पर उनका नम्बर बदल जाता था। जिससे कई साल बाद जब जिले में हुई किसी अपराधिक घटना की कोर्ट में सुनवाई के लिए जांच करने वाले सिपाही या दरोगा को बुलाना होता है तो उसे कोर्ट का सम्मन तामील कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। साथ ही हर वर्ष मंडल एवं जिले में तैनाती की अवधि पूरी करने वाले पुलिसकर्मियों की सूची बनाने में भी लम्बी कवायद करनी पड़ती है।
इनको दूर करने के लिए छह माह पूर्व डीजीपी ने एडीजी तकनीकी सेवाएं को इसका हल तलाशने की जिम्मेदारी सौंपी थी। जिसके तहत अब हर पुलिसकर्मी को पर्सनल नम्बर देने की यह व्यवस्था इस माह के अंत तक लागू करने की कवायद की जा रही है।