तिरुअनंतपुरम। तिरुअनंतपुरम के भगवान पद्मनाभ को त्रावणकोर रॉयल हाउस ट्रस्ट चलाता है और भगवान पद्मनाभ को यहां पारिवारिक देवता का दर्जा हासिल है। इससे पहले इस मंदिर के दो चैंबर सन 1880 में खोले गए थे। अब 130 साल बाद फिर मंदिर के गुप्त तहखानों और कमरों को खोला गया है जिनमें बेशकीमती आभूषण और जवाहरात मिले हैं। इतिहासकारों के मुताबिक इस बार जो खजाना मिला है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि ये मंदिर भारत ही नहीं दुनियाभर में शायद सबसे ज्यादा अमीर मंदिर है।
तिरुअनंतपुरम के भगवान पद्मनाभ मंदिर में मिले खजाने से सभी ताज्जुब में हैं। जानकारों के मुताबिक खज़ाने की खोज करने वाले लोगों की नजर में ये खजाना अब तक मिले सभी खज़ानों में शायद सबसे ज्यादा कीमत का होगा।
ये बेशकीमती सामान सैकड़ों साल पुराना होने के वजह से आज की तारीख में इसकी सही कीमत नहीं आंकी जा सकी है। अभी तक गैरसरकारी सूत्रों ने इस खजाने के एक हिस्से की कीमत 50 हजार करोड़ रुपए आंकी है। इतिहासकारों का कहना है कि इस खजाने में त्रावणकोर के महाराजाओं के सोने और हीरे के मुकुट, बेशकीमती जवाहरात मौजूद हैं।
सरकार इस खजाने की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हो गई है। उसने मंदिर के आसपास सुरक्षा बहुत कड़ी कर दी है और मंदिर की फोटोग्राफी पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
अब तक खजाने से 50,000 करोड़ रुपये की संपत्ति निकाली जा चुकी है। ये आंकड़ा शुरुआती एस्टीमेट है लेकिन खजाना सवा सौ साल से ज्यादा पुराना है इसलिए इसकी कीमत कई गुना ज्यादा हो सकती है। खबरों के मुताबिक अभी तक खजाने के 5 तहखाने खोले जा चुके हैं और दौलत की सही कीमत आंकने की कोशिशें चल रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट में खजाने की रिपोर्ट जमा करने के बाद ही इस खजाने की सही कीमत का खुलासा किया जाएगा। कोर्ट तब खुद इस खजाने में मिले कीमती सामान की असल कीमत तय कर सकता है। अभी तक जो कीमत लगाई जा रही हैं वो सिर्फ लोगों की अपनी सोच है।
सुप्रीम कोर्ट के पैनल को पहले कमरे में गुरुवार को करीब 20,000 करोड़ रुपये के सोने, चांदी और जवाहरात मिले थे। ये कमरा पिछले 150 साल से बंद था। तहखाने में सोने के 3 मुकुट मौजूद थे। इतिहासकारों का कहना है कि ये मुकुट त्रावणकोर के राजाओं के थे और उनमें से एक को कुलशेखर पेरुमल पहनते थे। ये मुकुट अंदरूनी लॉकरों से मिले। उनके अलावा बड़ी तादाद में रत्नजटित स्वर्णाभूषण और सोने की छड़ें निकलीं हैं।
कीमती और काफी दु्र्लभ सामान और बेशकीमती जवाहरात इस मंदिर के अलग-अलग कमरों में मिले हैं। खासकर चैंबर ए में जो सामान मिला है वो कई सदी पुराना है।
सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने गुरुवार को कमरे में मिली दौलत के महज 30 फीसदी हिस्से की गिनती की है जिसे प्लास्टिक के 70 बोरों और 7 बक्सों में सहेजकर रखा गया है र अभी खजाना बढ़ता ही जा रहा है। इससे पहले चार दूसरे कमरों से पैनल को सोने और चांदी के बर्तन, मुकुट, सोने के छत्र मिले थे, जिनकी कीमत 5,000 करोड़ रुपए बताई गई है। इनमें पारंपरिक मशालें भी शामिल हैं।
कुल मिलाकर 6 कमरों में से ‘ए और ‘बी डेढ़ सौ साल से बंद हैं। तिरुअनंतपुरम के निवासियों के मुताबिक ‘बी कमरे में भी बेशकीमती खजाना मौजूद है।
जब से हमें सुप्रीम कोर्ट ने इस खजाने का स्टॉक लेने को कहा है, तभी से हम सभी काफी चिंतित हैं। सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है लेकिन अब सरकार इसे और मजबूत बनाने के बारे में विचार कर रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस खजाने की सही कीमत आंकना काफी मुश्किल है क्योंकि ये जितने पुराने होंगे, इनकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी। इन 6 कमरों के अलावा भी कई गुप्त तहखाने अभी मंदिर में बताए गए हैं जो उप देवस्थान के गर्भगृह के नीचे हो सकते हैं। मंदिर परिसर में नरसिंह मूर्ति के दक्षिण के कोने में मौजूद कमरे ‘ए में ग्रेनाइट की चट्टानें हटाने पर 367 सेंटीमीटर लंबा, 220 सेमी चौड़ा और 175 सेमी ऊंचा गुप्त कमरा मिला है। वहां जाने के लिए संकरा रास्ता था, जिसमें एक वक्त में एक ही आदमी जा सकता था। उसके अंदर जमीन पर खजाना बिखरा था और दीवारों पर बनाए गए विशेष लॉकरों में भी बेशुमार दौलत मिली है। इन लॉकरों पर सांप और अंग्रेजी अक्षर ‘एस की आकृति के निशान भी मिले हैं। डेढ़ सौ साल से ज्यादा वक्त से बंद ‘बी कमरे और ‘एफ कमरे को भी अब खोला जाएगा। इनमें मिलने वाली संपत्ति के दस्तावेज अदालत में पेश किए जाएंगे। खजाना मिलने के बाद मंदिर की सुरक्षा कई गुना बढ़ा दी गई है और यहां फोटोग्राफी की मनाही कर दी गई है।