मनमोहन के प्रधानमंत्री पद के दिन कम रह गए हैं: गडकरी

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने आज कहा कि भले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि वे कठपुतली सरकार के मुखिया नहीं हैं, लेकिन उन्हें यह समझ लेना चाहिए कांग्रेस की ओर से पद छोड़ने के लिए उन्हें पर्याप्त संकेत दे दिये गये हैं।

गडकरी ने प्रधानमंत्री द्वारा खुद को कठपुतली सरकार का मुखिया नहीं होने का दावा किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यहां कहा कि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की ओर से डॉ. सिंह को पद छोड़ने का फरमान निकाला जा चुका है और उनके सोचने के लिए यह इशारा काफी है।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उठ रही मांग के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ संपादकों के साथ विचार-विमर्श में आज कहा कि वे किसी भी समय युवा नेतृत्व के लिए स्थान खाली करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि यह मामला तो अभी सरकार और पार्टी के एजेंडे में ही नहीं है और वे किसी कठपुतली सरकार के मुखिया नहीं हैं।

गडकरी ने आरोप लगाया कि डॉ. सिंह हर मोर्चे पर पूरी तरह से विफल साबित हुए है। दरअसल बहुत दिनों बाद उन्होंने चुनींदा संपादकों को अपनी सफाई देने और अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए बुलाया था।

गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि वह कौन-सी मजबूरी थी, जिसके कारण रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के सत्याग्रहियों के खिलाफ आधी रात को पुलिस कार्रवाई की गई। अब समाजसेवी अन्ना हजारे को धमकी दी जा रही है कि उनका हश्र भी बाबा रामदेव जैसा होगा।

उन्होंने कहा कि यह बाबा रामदेव और अन्ना हजारे का मामला नहीं है, यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की बात है। क्या भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा काले धन के मुद्दे को उठाना गुनाह है।

गडकरी ने आरोप लगाया कि अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री महंगाई रोकने की परीक्षा में फेल हो गये हैं। उन्होंने लालकिला से ऐलान किया था कि सौ दिन में महंगाई कम कर देंगे, लेकिन ऐसा करने में वे नाकाम रहे। दरअसल वे बार-बार महंगाई कम करने का वादा करते हैं, लेकिन उसे पूरा नहीं कर पाते यह देश की जनता के साथ विश्वासघात है।