बारिश के पानी में भीगने का जितना सुखद एहसास है, उतने ही इसके नकारात्मक प्रभाव भी सेहत पर पड़ सकते हैं। रोजमर्रा के काम के लिए बाहर निकलने वाले खुद को लाख बचा कर रखें, लेकिन बारिश की बूंदें किसी को भी नहीं छोड़तीं। बच्चों को तो जैसे बारिश में भीगने का बहाना भर चाहिए। पर अगर भीग ही गए हैं तो कुछ एहतियात बरत कर इससे जुड़ी सेहत की परेशानियों को दूर किया जा सकता है।
क्या बरतें सावधानी
– भीगने के बाद एसी, कूलर या पंखे की हवा से बचें।
– गरम कॉफी या चाय लेना हो सकता है फायदेमंद।
– जुकाम के लिए कारबोल प्लस कैप्सूल की भाप ले सकते हैं।
– गीले कपड़ों में 15 मिनट भी रहना है नुकसानदायक।
– बालों को सुखाएं। सिर पर तेल लगा सकते हैं।
– फंगल संक्रमण से बचने के लिए भीगने के बाद साधारण पानी से जरूर नहाएं।
बुखार जिस तेजी से मौसम बदलता है, उसके अनुरूप शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं बदलती। गर्मी और आर्दता होने के कारण शरीर का तापमान तो सामान्य रहता है, जबकि बाहर का तापमान निरंतर गिरता है, जिस कारण बुखार हो सकता है। मैक्स अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. संदीप बुद्धिराजा कहते हैं कि कई कारणों से बारिश में भीगने के बाद बुखार हो सकता है, जिसकी वजह देर तक गीले रहना है। एक या दो दिन से अधिक बुखार मेनिनजाइटिस हो सकता है। ऐसे में एस्प्रीन लेने से बचें। यह तेजी से खून में प्लेटलेट्स का स्तर कम करती है, जिस कारण डेंगू के लक्षण सामने आते हैं। साधारण बुखार होने पर भी रक्त की सामान्य जांच करा लेनी चाहिए।
क्या बरतें सावधानी
– माइग्रेन या साइनस की तकलीफ में भीगने से बचें।
– शरीर अकड़ने पर हल्के गुनगुने पानी से नहाना है बेहतर।
– बुखार से बचने के लिए वैक्सीग्रिप वैक्सीन ले सकते हैं।
– भीगने के बाद कपड़े सुखाने कूलर के पास न बैठें।
– कोशिश करें कि विक्स या बाम हमेशा अपने साथ रखें।
त्वचा संक्रमण
बारिश का नियमित संपर्क त्वचा के छिद्रों को खोल देता है, जिससे आसानी से शरीर में बारिश के पानी में मौजूद बैक्टीरिया त्वचा की बाहरी सतह तक पहुंच जाते हैं। हालांकि इन बैक्टीरिया से गंभीर संक्रमण नहीं होता, लेकिन रोजाना एक ही स्थिति दोहराने पर कई त्वचा संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मोनिका महाजन कहती हैं कि यदि रोजाना स्वीमिंग करते हैं तो विशेष सावधान रहें, कोशिश करें कि ऐसे पानी से दूर रहें, जहां बारिश का पानी रुका हो। अकसर स्वीमिंग पूल का पानी बदला नहीं जाता, जिस कारण बारिश के पानी में पनपे बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। त्वचा को संक्रमण से बचाने के लिए गीले होने के 15 मिनट के भीतर शरीर को सुखाना जरूरी है।
क्या बरतें सावधानी
– सिंथेटिक व मोटे कपड़े पहन कर घर से न निकलें।
– भीगने के तुरंत बाद मोटे तौलिए से शरीर को सुखाएं।
– पैरों में अंगुलियों के बीच नारियल तेल लगाएं।
– बालों को नियमित स्टीम दें, इस मौसम में डैंड्रफ होता है।
– त्वचा पर तेल न लगाएं। इस समय त्वचा मैलेनीन छोड़ती है।
गले में दर्द व फ्लू
मानसून के कॉकटेल में भीगने पर गले की समस्या के साथ जनरल फिजीशियन के पास पहुंचने वाले लोगों की संख्या बढ़ जाती है। गुरु तेगबहादुर अस्पताल के फिजीशियन डॉ. कुलदीप कहते हैं कि हल्की आद्र्रता युक्त मौसम में स्ट्रेपटोकॉकल वायरस जिंदा रहता है। इसका संक्रमण तेजी से फैलता है, इसलिए सूखी खांसी या खराश में लोगों को मुंह पर रुमाल रख कर खांसने की हिदायत दी जाती है। करोल बाग स्थित होम्योपैथी क्लीनिक के डॉ. आर.एम. बनर्जी कहते हैं कि इस ऋतुओं की संधि में रोग प्रतिरोधक क्षमता अकसर कमजोर हो जाती है। ऐसे समय में विटामिन सी युक्त चीजें फायदा करती हैं। गुरुनानक आई अस्पताल के डॉ. पी.एस. बोस कहते हैं कि रूखी हवाओं के असर के कारण आंखों की ल्युब्रिकेंट प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसके लिए साधारण आई ड्रॉप देते हैं।
पहचानें नासाज सेहत को
– जब आंखों में जलन या फिर हल्के पानी का एहसास हो।
– अधिक काम किए बिना भी हो थकान व आलस्य का अनुभव।
– जब सूखी खांसी अधिक समय से कर रही हो परेशानी।
– आंख बंद करते ही चुभन या साधारण सिरदर्द।
– दिन में सोने का मन करे या मांसपेशियों में अकड़न हो।
– बच्चों को यदि साइनस हो तो चेत जाएं।