सचान मामले में मायावती सरकार ने घुटने टेके, केस दर्ज

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सचान के मामले में मायावती सरकार का गुस्सा मीडिया पर भी उतरा-

लखनऊ।। पिछले कई दिनों की उथल-पुथल के बाद आखिरकार मायावती घुटने टेकते दिखाई दे रही हैं। जेल के अंदर डिप्टी सीएमओ वाईएस सचान की संदिग्ध हालात में हुई मौत पर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ साजिशन हत्या का केस दर्ज किया है। पहले शासन-प्रशासन ने इसे आत्महत्या का मामला करार दिया था। सचान को दो सीएमओ की हत्या की साजिश में गिरफ्तार किया गया था। इसी सिलसिले में मायावती ने आज राज्य के सीनियर ऑफिसरों की मीटिंग बुलाई है।

केस दर्ज करने के साथ-साथ अब जेल में लगे सीसीटीवी कैमरों की रेकॉर्डिंग भी देखी जाएगी। जेल प्रशासन ने सीसीटीवी की देख-रेख करने वाली एजेंसी से टेप मंगाए हैं। जेल में 26 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और सचान के मामले में इनसे काफी मदद मिल सकती है लेकिन अब तक टेप देखने की जरूरत जेल प्रशासन ने महसूस नहीं की थी।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सचान के शरीर पर चोट के नौ निशान मिलने के बाद प्रशासन के खुदकुशी के दावों पर सवाल खड़े हो गए थे, लेकिन थाने में न तो खुदकुशी की रिपोर्ट दर्ज की गई थी और न ही हत्या की। एसओ गोसाईगंज ने बताया कि रविवार को सचान की पत्‍‌नी डॉक्टर मालती द्वारा स्पीड पोस्ट से भेजी गई तहरीर उन्हें मिली। इसके बाद उन्होंने इस मामले में आइपीसी की धारा 302 और 120 बी के तहत अज्ञात लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की।

मालती ने पुलिस से कहा है कि दोनों सीएमओ की हत्या में शासन-प्रशासन के जिम्मेदार लोगों ने साजिश रची। उनका यह भी कहना है कि सचान का नाम केवल वित्तीय अनियमितता में था।

23 जून को सचान की कोर्ट में उनकी पेशी थी। माना जा रहा है कि कुछ लोगों को डर था कि सचान कहीं असली गुनहगारों का नाम उजागर न कर दें, इसलिए जेल के भीतर उन्हें मार डाला गया। रिश्तेदारों ने सचान के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान देखे थे। सचान के बड़े भाई आरके सचान का कहना है कि घटना के अगले दिन ही उन्होंने डीजीपी समेत सभी पुलिस अधिकारियों को स्पीड पोस्ट से मामला दर्ज करने का आवेदन किया था। डीआईजी का कहना है कि उन्हें अभी तक उनका प्रार्थना पत्र नहीं मिला था।

सचान के मामले में मायावती सरकार का गुस्सा मीडिया पर भी उतर रहा है। खबरिया चैनल आईबीएन 7 के एक सीनियर पत्रकार को रविवार रात पुलिस ने उठा लिया था लेकिन बाद में पत्रकारों के प्रदर्शन के बाद उन्हें छोड़ दिया गया और दो अधिकारिओं को सस्पेंड भी किया गया।