लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार का तानाशाह रवैया एक बार फिर देखने को मिला है। डिप्टी सीएमओ डा. वाई एस सचान की जेल में हत्या और लगातार बढ़ती बलात्कार की वारदातों के बीच कठघरे में आ चुकी सरकार इतनी बौंखला गई कि टीवी चैनल आईबीएन 7 के दो पत्रकारों पर हमला बोल दिया। यह हमला पुलिस के दो अधिकारियों ने किया।
यह घटना रविवार देर रात हुई, जब आईबीएन 7 के ब्यूरो चीफ शलभमणि त्रिपाठी और संवाददाता मनोज रंजन त्रिपाठी पर एएसपी बीपी अशोक और सीओ हजरतगंज अनूप कुमार ने हमला बोल दिया।
मनोज रंजन वहां से भाग निकले, लेकिन शलभमणि को दोनो अधिकारियों ने लात घूसों से पीटा, उठा कर जीप में डाल दिया और हजरतगंज थाने ले गये। यहां दोनों ने सिपाहियों से कहा कि ये बहुत बोलता है, इसे पीटो और हवालात में डाल दो। सिपाहियों ने शलभ को पीटने से इंकार कर दिया तो अधिकारियों ने उन्हें सस्पेंड करने की धमकी दे डाली।
देखते ही देखते हजरतगंज थाने पर पूरे लखनऊ का मीडिया पहुंच गया। दर्जनों पत्रकार मौके पर पहुंच गये और हंगामा शुरू कर दिया। इस घटना के बाद लखनऊ के सैंकड़ों पत्रकारों का एक जुलूस हजरतगंज से मुख्यमंत्री आवास तक पहुंच गये। यहां पत्रकारों ने मध्य रात्रि जमकर हंगामा किया। पत्रकारों ने दोनों अधिकारियों के निलंबन की मांग की।
पत्रकारों को मनाने के लिए मौके पर सचिव नवनीत सहगल व अन्य पुलिस अधिकारी पहुंचे। नवनीत सहगल ने कहा कि जब तक शलभ लिखित रिपोर्ट नहीं दर्ज कराते हैं, तब तक किसी भी पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की जा सकती। इसके बाद शलभमणि ने दोनों अकिधकारियों के खिलाफ लिखित एफआईआर दी। हालांकि रात्रि एक बजे तक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सरकार की ओर से कोई अधिकारिक बयान नहीं आया।