फर्रुखाबाद- अन्ना हजारे के जंतर मंतर के धरने और बाबा रामदेव के रामलीला मैदान के आंदोलनों के बीच बडा अंतर उसमें सम्मिलित होने वाली भीड में साफ है। अन्ना हजारे के सत्याग्रह में सम्मिलित मुटठीभर लोग अपने अपने क्षेत्र के ब्रंड एम्बेसडर और जाने माने लोग थे जबकि रामलीला मैदान पर जमा हुए लोग बाबा के सर्थक थे जिनमें से 90 प्रतिशत लोग किसान और ग्रहणियां ही थीं। इनमें से अधिकांश लोग आंदोलन के मर्म से अनजान केवल बाबा में अपनी आस्था या उनके दर्शन और योग शिविर की आशा में आये थे।
अन्ना का आंदोलन को ताकत उसमें सम्मिलत समर्थकों के व्यक्तित्व से मिली थी वहीं रामदेव के आंदोलन की ताकत समर्थकों की संख्या में थी। जंतरमंतर के आंदोलन में जहां सादगी और गांधीवादी तौर तरीके हावी रहे वहीं बाबा रामदेव के आंदोलन के दौरान कई हास्यास्पद द़श्य भी नजर आये। एक बार तो कुछ साधुओं ने डांस शुरू कर दिया। एक बार कुछ किन्नरों का समूह धरना स्थल पर पहुंचा तो बाबा ने उनको स्टेज पर बुलाकर उनकी मर्दानगी की दाद दे डाली।