करीब 20.55 लाख लोगों को खिलाई जाएगी फाइलेरिया रोधी दवा

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। देश में अपंगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण भी फाइलेरिया है, लेकिन यह जितनी जटिल बीमारी है, उतना ही सरल इसका निदान भी है। फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी की रोकथाम करके ही इससे बचा जा सकता है। जिले में अभियान चलाकर करीब 20.55 लाख लोगों फाइलेरिया रोधी दवा को खिलाई जाएगी
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत शनिवार से जनपद में फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का अभियान शुरू हो रहा है। 2 सितंबर तक चलने वाले इस अभियान में जनपद के 20 लाख से अधिक लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य है। सभी लोग दवा जरूर खानें और अपने घर-परिवार के लोगों को खिलानें की सलाह दी गयी। सिर्फ गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों, गर्भवती महिला व दो साल से कम उम्र के बच्चों को यह दवा नहीं खानी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनींद्र कुमार ने बताया कि सर्वजन दवा सेवन अभियान के लिए समस्त तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शनिवार को जिलाधिकारी अभियान की शुरू करेंगे। इससे पहले सीएमओ दफ्तर से कलेक्ट्रेट तक जागरूकता रैली निकाली जाएगी। उन्होंने बताया कि आशा घर-घर लोगों को दवा खिलाने जाएंगी। एक आशा को प्रतिदिन 25 घरों को कवर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभियान के तहत 20 लाख 54 हजार 658 लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा (एल्बेण्डाजाल व डीईसी) खिलाई जाएगी। इसके लिए 1828 टीमें तैयार की गईं हैं। एक टीम में दो सदस्य (आशा कार्यकर्ता व स्वास्थ्य कर्मी) रहेंगे। नगर सहित सभी ब्लॉकों में पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध है।
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आरसी माथुर ने बताया कि फाइलेरिया (फीलपाँव या हाथीपाँव) वाहक मच्छर क्यूलेक्स के काटने के बाद इसके लक्षण पांच से 15 साल के बाद दिखाई देते हैं। इसलिए एक साल से ऊपर के सभी बच्चों, किशोर-किशोरियों, वयस्कों, वृद्धजनों को फाइलेरिया से बचाव की दवा जरूर खानी चाहिए।
जिला मलेरिया अधिकारी नौशाद अली ने बताया कि दवाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है। फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। ऐसे लक्षण इन दवाओं के सेवन के उपरांत शरीर के भीतर परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। सामान्यतः यह लक्षण स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं| कार्यशाला में मलेरिया इंस्पेक्टर नरजीत कटियार, पीसीआई से शादाब आलम व अनुपम मिश्रा, पाथ से अरुण कुमार आदि मौजूद रहे l