बाढ़ राहत की हेराफेरी में लेखपाल के विरुद्ध एफआईआर

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फर्रुखाबाद: अजीब विडंबना है कि आजादी के ६५ साल बाद, शिक्षा और सभ्यता के इस सोपान पर भी हमारी ब्यूरोक्रेसी का जमीर गिद्ध और कौवों से भी बदतर होता जा रहा है। सूखा और बाढ़ से तबाह असहाय किसानों और आम जनता के लिये सरकार से आने वाले अनुदान को भी हड़पने में इनको शर्म नहीं आती। विधवा और बेसहारा औरतों को मिलने वाले अनुदान और पेंशन के नाम पर सरकारी अमला उनका शोषण करने से नहीं चूकता। सकूलों में पढ़ने वाले गरीब कुपोषित बच्चों के लिये आने वाले मध्याह्न भोजन को हड़पने में जरा झिझक नहीं लगती। जुए और सट्टे के फड़ व कच्ची नकली शराब की भट्टियां चलाकर गरीब मजदूरीपेशा लोगों को लूटने वालों से पुलिस हफ्ता वसूल कर आंखें मूंद लेती है। मासूम बच्चियों और किशोरियों से बलात्कार करने वाले को बचाने के लिये सरकारी अमला जान लगादेता है। इससे शर्मनाक पहलू यह है कि मैंने एक सरकारी कर्मचारी को उसकी निकृष्टता का आईना दिखाते हुए उससे पूछा कि तुम  एसा क्यों करते हो तो उसने इससे भी ज्यादा ढिटाई के साथ तर्क दिया कि हम क्या करें, अब हमारे पास टाटा_विरला तो कोई लाइसेंस लेने आते नहीं हैं, हमें तो इन्ही लागों से वास्ता पड़ता है।

कई और के भी फंसने की संभावना

अमृतपुर में खुला एक और घोटाला

भृष्टाचार की इस सबसे घिनौनी किस्म का जिक्र तहसील अमृतपुर में सामने आये एक और बाढ़ राहत घोटाले के परिप्रेक्ष में करना समीचीन लगा। तहसील अमृतपुर में एक और बाढ़ राहत घोटाले का खुलासा हुआ है। तहसील मुख्यालय की नाक के नीचे लाखों रुपये का फर्जी भुगतान लेखपाल और उसके गुर्गों ने हड़प कर लिया और अधिकारियों को इसकी भनक तक न लगी….? सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त जानकारी के आधार पर शिकायत की गयी तब कहीं शिकायत के लगभग दो माह बाद तहसीलदार साहब ने एक गोलमोल रिपोर्ट दी। फिर भी जो कुछ सामने आया है उसके आधार पर लेखपाल के विरुद्ध निलंबन और एफआईआर की कारर्वाई के आदेश कर दिये गये हैं।

तहसील मुख्यालय के गांव अमृतपुर में भी बाढ़ से तबाह किसानों और ग्रामीणों को कृषि व गृह अनुदान के लिये आये लाखों रूपयों का सरकारी अमले की मिली भगत से बंदरबांट हो गया। एक स्थानीय जागरूक ग्रामीण द्वारा सूचना के अधिकार के तहत लाभार्थियों की सूची हासिल की तो हकीकत सामने आने लगी। जिलाधिकारी से शिकायत के बाद एसडीएम ने जांच तहसीलदार को सौंप दी। कछुआ चाल से लगभग दो माह बाद मंगलवार को तहसीलदार अशोक कुमार सिंह चंद्रौल ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसे खुद एसडीएम भी गोलमोल कहने से नहीं हिचक रहे हैं।

उपजिलाधिकारी अमृतपुर आरबी वर्मा ने बताया कि तहसीलदार की रिपोर्ट आज ही उनको मिली है। रिपोर्ट के अनुसार स्वयं लेखपाल आदर्श कुमार ने ही अपने नाम से अनेक चेकों का भुगतान निकाल लिया। कई मृतकों के नाम न केवल चेकें काट दी गयीं, उन मृतकों के हस्ताक्षर से ही उंन्हें प्राप्त भी दिखा दिया गया। एक एक ग्रामीण ने दर्जनों चेंकों का भुगतान निकाल निया। एक ग्रामीण ने तो आधा सैकड़ चेकों का भ्रुगतान प्राप्त किया है। मजे की बात है कि रिपोर्ट में न तो इन ग्रामीणों की संलिप्तता का स्पष्ट उल्लेख् है और न ही इसमें बैंक कर्मियों और अधिकारियों की भूमिका को रेखांकित किया गया है।

श्री वर्मा ने बताया कि संबंधित लेखपाल को निलंबित करते हुए तहसीलदार को लेखपाल व अन्य संबंधित दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये जा रहे हैं।