फर्रुखाबाद: जिस काम का वेतन सरकारी अफसर को मिलता है वो काम लोकतंत्र की सबसे छोटी संसद ग्रामसभा के प्रधान को करना पड़ रहा है| जनपद में एक सैकड़ा से अधिक पूर्व और वर्तमान प्रधान लगभग 8 करोड़ से अधिक की जो धनराशी मिड-डे-मील के खाद्यान और कन्वर्जन कास्ट हड़प कर चुके है उस धनराशी को सरकारी अफसर केवल कागजो में वसूली कर रहे है| वहीँ जनपद के एक जागरूक प्रधान ने मामले को लखनऊ स्तर तक पंहुचा राज्य और जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर पिछले प्रधान के द्वारा हडपी हुई धनराशि वसूल कर उसे न दी गयी और उसके कार्यकाल के दौरान बच्चो के खाद्यान में कटौती हुई तो वो मिड डे मील बंद कर देगा और इसकी जबाबदेही सरकारी अमले की होगी|
पूर्व प्रधान गटक गया 5 लाख?
ब्लाक मोहम्दाबाद के मेरापुर ग्राम सभा के प्रधान संतोष यादव ने निदेशक मध्याह भोजन योजना को भेजे अपने पत्र में लिखा है कि वो 2010 का चुना हुआ प्रधान है और उसके द्वारा ग्राम सभा का चार्ज लेने के बाद उसके ग्राम सभा के स्कूलों में बच्चो के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा पर्याप्त खाद्यान और कन्वर्जन कास्ट नहीं दी जा रही है| उसके संज्ञान में आया है पिछले प्रधान के ऊपर सरकार का 284 कुंतल गेंहू और 164171/- रुपये कन्वर्जन कास्ट के बकाया हैं| जिसकी वसूली के एवज में उसके कार्यकाल के दौरान खाद्यान और कन्वर्जन कास्ट में कटौती कर उसे दी जा रही है| जिस कारण स्कूल में नौनिहालों को मिलने वाला मिड डे मील प्रभावित हो रहा है| संतोष के मुताबिक सरकार को चाहिए कि वो पिछले प्रधान से वसूली कर उसे खाद्यान उपलब्ध कराये|
फर्जी अदेय प्रमाण पत्रों में भी मालामाल हुए अफसर?
प्रधान संतोष कुमार ने आरोप लगाया और उसके साक्ष्य के रूप में पिछले प्रधान को भेजे गए नोटिस भी प्राधिकरण को भेजे हैं| ज्ञात हो कि खानापूरी के लिए 23/08/2010 को पंचायत चुनाव से ठीक पहले थोक के भाव ऐसे नोटिस सरकारी फाइलों के पेट भरने के लिए भेजे गए थे| बकाया होने के बाबजूद प्रधानो ने बाकायदा कोई बकाया नहीं का अदेय प्रमाण पत्र हासिल किया और लाठी ठोक कर चुनाव लड़े| ये बात और थी कि इनमे से अधिकांश बेईमानो को जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया| मगर सरकारी अफसर कुछ क्यूँ नहीं कर सके?
सवाल- वसूली क्यूँ नहीं हो पा रही?
सवाल सबसे बड़ा यही है कि जनता के टैक्स के पैसे के रूप में खाद्यान और कन्वर्जन कास्ट का लगभग 8 करोड़ रुपया जिले के अफसर क्यूँ नहीं वसूल पा रहे है| कमी अफसरों के आत्मबल की है या उनके सरकारी अमले की सबसे निचली इकाई ग्राम सचिवो को बचाने की कोई सोची समझी रणनीति है|
सरकारी चाल- तत्काल मतलब कितना समय?
फिलहाल मध्याह भोजन प्राधिकरण लखनऊ के अफसर संतोष कुमार ने भी जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिख कर सरकारी कागज चला दिया है कि वे (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) तत्काल जिलाधिकारी से मिल कर आवश्यक विधिक कारवाही कराते हुए प्राधिकरण को अवगत कराये ताकि भोजन व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके| सरकारी महकमे में तत्काल क्या होता है इसकी बानगी ले- प्रधान संतोष कुमार ने ये पत्र तब भेजा था जब स्कूल खुले थे| स्कूल बंद हुए भी 10 दिन हो चुके हैं| प्राधिकरण ने ये पत्र 24/5/2011 को फर्रुखाबाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्राप्त कराया| मगर पञ्च दिन बाद भी ये मामला जिलाधिकारी तक नहीं पंहुचा|