लखनऊ: यूपी में बिजली का नया कनेक्शन लेना जल्द ही महंगा होने वाला है। पावर कारपोरेशन ने बिजली कनेक्शन के लिए विभिन्न विद्युत सामग्री की दरों को नए सिरे से तय करते हुए संशोधित कास्ट डाटा बुक का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है।विद्युत सामग्री की दरों को बढ़ाने के साथ ही उद्योगों व बड़े उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी धनराशि में सौ प्रतिशत से भी अधिक बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है। ऐसे में घरेलू से लेकर अन्य उपभोक्ता के नए कनेक्शन की दरों में जहां से 30 से 50 वहीं उद्योगों के नए कनेक्शन का खर्चा 100 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ जाएगा।इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड रिव्यू पैनल सब कमेटी की बैठक में दरों पर विस्तृत चर्चा के बाद आयोग कास्ट डाटा बुक को अंतिम रूप देगा। संशोधित कास्ट डाटा बुक में कारपोरेशन प्रबंधन ने दो किलोवाट तक कनेक्शन के लिए लेबर एंड ओवरहेड चार्ज की दर को 150 रुपए से बढ़ाकर 564 रुपए कर दिया है। इससे बीपीएल व छोटे विद्युत उपभोक्ताओं के नए कनेक्शन के खर्चे में लगभग 44 प्रतिशत की वृद्धि होगी। गांव के एक किलोवाट लाइफ लाइन उपभोक्ता को नए कनेक्शन के लिए बिना जीएसटी के 1032 रुपये देने होते थे, जिसे 1486 रुपये प्रस्तावित किया गया है। शहरी घरेलू कनेक्शन का खर्चा भी लगभग 30-35 प्रतिशत बढ़ेगा। प्रस्तावित कास्ट डाटा बुक में सिंगल फेज स्मार्ट मीटर की दर 3,822 रुपये व थ्री फेज की 6,316 रुपये दी गई है।विद्युत सामग्री की मौजूदा दरें वर्ष 2019 की कास्ट डाटा बुक के अनुसार लागू है। वैसे तो तीन वर्ष बाद ही कास्ट डाटा बुक की दरों को संशोधित करने की व्यवस्था है, लेकिन करीब पांच वर्ष बाद दरों को नए सिरे से तय करने का प्रस्ताव है। चूंकि पांच वर्ष पुरानी दरें होने से कारपोरेशन प्रबंधन को नुकसान हो रहा है, इसलिए उसने आयोग में दाखिल प्रस्ताव में यह भी लिखा है कि भविष्य में दो वर्ष के अंतराल में यदि कास्ट डाटा बुक न बन पाए तो प्रत्येक वर्ष मौजूदा दरों में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी स्वतः मान ली जाए।
संशोधित कास्ट डाटा बुक में प्रस्तावित दरों को असंतुलित बताते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि ऐसा लगता है कि कारपोरेशन प्रबंधन ने जल्दबाजी में मनमाने तरीके से दरें तय की हैं। वर्मा ने बताया कि प्रस्तावित दरों में विसंगतियों के मामले को रिव्यू पैनल सब कमेटी में वह सदस्य होने के नाते उठाएंगे ताकि उपभोक्ताओं पर अनावश्यक भार न पड़े।