फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो)अपने पति की दीर्घायु होने की कामना करते हुए सुहागिनों ने वट वृक्ष की पूजा अर्चना की। सुबह होते ही नए परिधान में सुहागिनें नें हाथों में पूजा का प्रसाद लिए अपने आसपास स्थित वट वृक्ष की छांव में पूजा करने के बाद परिक्रमा की। हाथों में अक्षत और कच्चा धागा लेकर पवित्र वृक्ष की परिक्रमा की। पेड़ के पत्तों को अपने बालों में लगाकर सावित्री सत्यवान की कथा सुनी तथा आरती के बाद पूजन विधि का समापन हुआ।
शहर में जगह-जगह अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने वट वृक्ष का पूजन किया | जहां वट वृक्ष है, वहां पूरी श्रद्धा और विश्वास के साि पूजा विधान संपन्न हुआ। कई व्रतियों ने सामूहिक रूप से एकत्र होकर अपने घरों में ही पूजा की। इसके बाद गरीबों और असहाय लोगों को प्रसाद ग्रहण करा दान-दक्षिणा दी गई। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने यमराज के दरबार से अपने पति सत्यवान को छुड़ा़कर प्राणों की रक्षा की थी। यमराज ने सावित्री को ऐसा करने से रोकने के लिए तीन वरदान दिए। अपने तीन वरदानों मे पुत्रवती का वरदान लेकर देवी सावित्री ने यमराज के फंदे से पति को मुक्त कराने में सफल हुई। पति के प्राण लेकर वापस लौटने पर सावित्री ने वट वृक्ष का आभार व्यक्त करने के लिए उसकी परिक्रमा की। उसी समय से महिलाओं द्वारा पति की सलामती के लिए वट-सावित्री की पूजा-अर्चना की जाती है।