तत्कालीन इंस्पेक्टर राजकुमार की हत्या से भी नही ली पुलिस नें सीख

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) थाना कादरी गेट के थानाध्यक्ष की सरकारी पिस्टल की मैगजीन व कारतूस खोनें के बाद मिल जानें का दावा किया जा रहा है| यह पिस्टल अक्सर उनके हमराह सिपाही ही लगाकर चलते थे! यह मामला जब चर्चा में आया तो तत्कलीन इंस्पेक्टर राजकुमार की हत्या की घटना भी जहन में ताजा हो गयी| घटना थाना कादरी गेट के करीब लकूला के निकट में ही हुई थी| विदित है! तत्कालीन शहर कोतवाल के सीने पर किस तरह से गोली शातिर नें दागी थी| जिसका मुख्य कारण उनकी सरकारी पिस्टल दबिश के दौरान उनकी पिस्टल उनके चालक के पास थी | इंस्पेक्टर की हत्या के बाद भी कई साल गुजर गये लेकिन अभी भी कई थानेंदारों की सरकारी पिस्टल उनके हमराह ही लगाकर चलते हैं |
दरअसल तत्कालीन शहर कोतवाल राजकुमार सिंह फोर्स के साथ 29 नवंबर 2014 को पूर्व सभासद के ऊपर हमले के आरोपी बाग लकूला निवासी चंद्र कुमार उर्फ पप्पू कोरी के घर दबिश देने गए थे। कोतवाल के साथ उनके चालक मनोज व तत्कालीन एसएसआई हरीशचन्द्र भी दबिश में साथ थे| कोतवाल की पिस्टल चालक मनोज के पास थी| दबिश के दौरान पप्पू कोरी नें निहत्थे इंस्पेक्टर राजकुमार सिंह पर तमंचे से सीधी गोली चला दी| जिससे गोली उनके सीने में लगी और उन्हें लोहिया में मृत घोषित किया गया| जरा सी लापरवाही में इतनी बड़ी घटना हो गयी| माना गया था कि यदि पिस्टल उनके पास होती तो पप्पू तमंचा शायद उन पर नही चला पाता| पुलिसकर्मियों ने दौड़ाकर पप्पू कोरी को मौके पर ही धर दबोचा। बाद में तत्कालीन एसएसआई हरिश्चंद्र ने पप्पू कोरी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। सुनवाई पूरी होने के बाद तत्कालीन जिला जज राजन चौधरी ने हत्यारोपी पप्पू कोरी को 302, 506 आईपीसी व 25/27 आर्म्स एक्ट में 30 मार्च 2015 को दोषी करार कर दिया। 302 आईपीसी में दोष सिद्ध अभियुक्त पप्पू को फांसी की सजा से दंडित किया। 18 अगस्त 2016 को सुप्रीम कोर्ट नें पप्पू की फांसी पर रोंक लगा दी थी|