फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) जिले में फाइलेरिया रोगियों की खोज के लिए माह के प्रत्येक बुधवार को जिला मलेरिया विभाग में नाइट क्लीनिक चलती है| जिसमें फाइलेरिया रोगियों की पहचान के लिए रात में 8 बजे से 10 बजे तक नाईट क्लीनिक चलती है| इसके अलावा महीने में दो बार जहां पर फाइलेरिया रोगी हैं या कोई संभावित गांव है तो वहां शिविर लगाकर रात्रि में रक्त का सैंपल लिया जाता है यह कहना है जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) डॉ राजेश माथुर का| फाइलेरिया निरीक्षक योगेश, अनिमेश, सीनियर लैब टेक्नीशियन राममिलन बायोलाजिस्ट श्री राम शुक्ला, ग्राम प्रधान मुनीम, आशा कार्यकर्ता सहित अन्य लोग मौजूद रहे|
डीएमओ ने बताया कि शनिवार की रात नगरिया गहरवार में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनीन्द्र कुमार के निर्देशन में नाइट ब्लड सर्वे किया गया जिसमें 72 लोगों के रक्त के नमूने लिए गए जिनको जांच के लिए लैब में भेज दिया गया है l साथ ही एक बच्चा शिवम 3 वर्षीय कुपोषित मिला जिसको पोषण पुनर्वास केंद्र के लिए भेजा गया lउन्होनें बताया की फाइलेरिया के रोगियों को रात में इसलिये चिन्हित किया जाता क्योंकि रात में ही इसके परजीवी यानि माइक्रो फाइलेरिया खून में अधिक सक्रिय होते हैं। इसलिये रात में खून के नमूने की जांच कर संक्रमण की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
डीएमओ ने बताया कि जिले में कुल सात ब्लॉक हैं l हर ब्लाक में दो क्षेत्रों में रक्त के नमूने लिए जाएंगे। एक ऐसा क्षेत्र जहां पूर्व में अधिक फाइलेरिया के रोगी मिले हों एवं एक रैंडम साइट में नाइट ब्लड सर्वे सभी आयु वर्ग के लोगों का किया जायेगा l
डीएमओ ने कहा कि फाइलेरिया के लक्षण प्रतीत होने पर जल्द पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सम्पर्क करें और इसके इलाज में लापरवाही नहीं बरतें l हाइड्रोसील से ग्रसित मरीज भी फाइलेरिया के अंतर्गत आते हैं वह अपना ऑपरेशन डॉ राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय में मुफ्त करा सकते हैं | इसके लिए 22 और 24 नवंबर हाइड्रोसील ग्रस्त अपना ऑपरेशन करा सकते हैं। इसके लिए एक दिन पहले ही अपनी सभी जांचे लोहिया अस्पताल में करा लें l साथ ही फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के दौरान मिलने वाली फाइलेरिया की दवा का सेवन जरूर करें l जिला फाइलेरिया निरीक्षक दीपांशु यादव ने बताया कि इस समय लगभग 1013 लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं |
फाइलेरिया के लक्षण
- एक या दोनों हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
- कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
- पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
- पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं|