फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) बीते दिन उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए हादसे में करीब दो दर्जन लोगों की मौत हो गई। हर ओर चीख-पुकार मची और कई घरों के दीपक बुझ गए। यह हादसा उन लोगों के साथ हुआ, जो ट्रैक्टर-ट्राली पर सवार थे। यह सोचने का विषय है कि क्या कानपुर की घटना से हमने सबक लिया…क्या इस तरह के वाहन का प्रयोग बंद करने का कोई उपक्रम हुआ…। शायद उत्तर न में हो। जनपद में तो केबल इस तरफ खानापूर्ति होती ही नजर आयी! यातायात पुलिस नें ट्रैक्टर ट्राली पर रेडियम स्टीकर लगाकर लोगों को जागरूक किया|
पुलिस व परिवहन विभाग के अफसरों की उदासीनता
जनपद में ट्रैक्टर ट्राली का सवारियों को ढाेने में प्रयोग में लाया जा रहा है। या यूं कहें कि इसका इस तरह का दुरुपयोग किसी दिन बड़े हादसे की वजह बन सकता है। इस ओर पुलिस व परिवहन विभाग उदासीन ही है, मौन है। कानपुर में ट्रैक्टर ट्राली हादसा कोई नया नहीं है, इस तरह के हादसे पहले भी हुए हैं, लेकिन प्रशासन इससे सबक लेता नहीं नजर आ रहा है।
जनपद में व्यापारिक कार्य के लिये एक भी ट्रैक्टर रजिस्टर्ड नही : जनपद में परिवहन विभाग में व्यापारिक कार्य (कामर्शियल) के नाम पर एक भी ट्रेक्टर रजिस्टर्ड नही हैं। लेकिन सड़क का सच कुछ और ही है। यहां पर सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर ट्राली सवारी ढाेती दिख जाती है। अंतिम संस्कार, मुंडन, बारात, निशान चढ़ाने, गंगा स्नान कराने, धरना-प्रदर्शन में भीड़ ले जाने, धार्मिक उत्सवों आदि में धड़ल्ले से ट्रैक्टर ट्रालियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। कृषि कार्य का स्लाेगन केवल लिखा भर होता है, उस पर अमल नहीं किया जाता। बच्चों, महिलाओं तक को ट्राली व डाले में बिठाकर सड़क पर बेलगाम दौड़ते वाहनों के कारण घटित हो रहे सड़क हादसे में मौतों का सिलसिला जारी है। यातायात पुलिस एवं परिवहन विभाग को इसकी चिंता नहीं है।
शादी-विवाह के सीजन में ढोए जाते हैं बाराती : वैवाहिक समारोह में शामिल होने बड़ी संख्या में ग्रामीण टाटा मैजिक, पिकअप, ट्रैक्टर एवं 407 जैसे मालवाहक वाहनों में ढोए जाते हैं। ऐसे मालवाहक भी यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। दरअसल ऐसे वाहन गांव-गिरांव में कम पैसे में भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। ट्रैक्टर ट्राली में 40 बराती तक सफर कर लेते हैं। लोग पैसे की बचत व सुविधा के लिए जोखिम उठाते हैं और प्रशासन का तंत्र उनको इसकी छूट भी देता है।
हादसा होने पर ही धरपकड़ व चेकिंग की होती है खानापूर्ति : हादसा हो जाने पर चेकिंग व धरपकड़ अभियान की याद आती है। इनके चालक ज्यादातर अप्रशिक्षित होने से तेज रफ्तार में गाड़ी चलाकर दुर्घटनाओं को अंजाम देते हैं। कई बार वह खुद भी जान गंवा बैठते हैं।
यातायात प्रभारी नें किया जागरूक
यातायात प्रभारी रजनेश यादव व जयपाल नें लाल दरवाजे से गुजर रहीं ट्रैक्टर ट्रालियों को रोंककर उन्हें सबारियां ना भरनें की हिदायत दी| साथ ही रेडियम टेप लगाया| चालकों का एल्कोहल चेक किया| अमृतपुर थानाध्यक्ष संत प्रकाश पटेल नें भी वाहन चालकों को जागरूक किया | एआरटीओ नें बिजेंद्र नाथ चौधरी से इस सम्बन्ध में बातचीत का प्रयास किया लेकिन 6 बार घंटी करनें पर भी उनका फोन नही उठा|