फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) भारत माता के आजादी दिलानें में अमर शहीद क्रांतिकारी पं.रामनारायण ‘आजाद’ ने भी कई बाद अंग्रेजों से मोर्चा लिया| वह चंद्रशेखर आजाद की तरह ही देश को आजाद करानें के प्रयास में क्रांति की राह पर चल रहे थे| लेकिन अफसोस देश आजाद होनें के 5 दिन पूर्व ही गोली मार दी गयी| वह आजादी का सूरज नही देख सके| गुरुवार को उसकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया गया|
शहर के साहबगंज चौराहा स्थित आजाद भवन में उनकी पुण्यतिथि पर याद किया गया| वक्ताओं नें कहा कि अमर शहीद क्रांतिकारी पं.रामनारायण ‘आजाद’ नें 16 साल की अवस्था में ही भारत माता के जयघोष के साथ अंग्रेजों को ललकार दिया। गोरों पर फायरिंग कर थानेदार की हत्या कर दी थी। उन्होंने जब ‘सरफरोशी दिल में है तो और सिर पैदा करो, नौजवानों ! ¨हद में फिर से गदर पैदा करो। फूंक दो बरबाद कर दो आशियां अंग्रेज का, अब तो दिल में हूक उठती कुछ करो या फिर मरो।’ देश भक्ति के अपने इसी गीत से युवाओं में देश भक्ति की ज्वाला पैदा की तो अंग्रेजी हुकुमत नें उन्हें 1921 को उन्हें 6 माह की सजा हुई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नही देखा| बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारी ¨हदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य योगेश चंद्र चटर्जी का बंगाल में वारंट चल रहा था। सुभाष चंद्र बोस ने चटर्जी को रामनारायण ‘आजाद’ के पास फर्रुखाबाद भेज दिया। वह बम बनाने में माहिर थे। आजाद ने अपने घर पर ही बम बनाने की जिम्मेदारी योगेश चंद्र चटर्जी को दे दी। उन्होंने अन्य क्रांतिकारियों को भी बम बनाने के कार्य में जोड़ लिया। राजा तिर्वा का खजाना भी लूटा। खजाने की धनराशि से ही क्रांतिकारियों को ठहराने के लिए स्वराज कुटीर भवन बना। 1926 में घर से गिरफ्तारी पर एक वर्ष व 1930 में नमक आंदोलन में दो वर्ष 6 माह सजा हुई। 1932 में 6 माह और फिर 1942 में वह चार साल नजरबंद रहे। 10 अगस्त 1947 को उनके घर पर ही एक गद्दार ने सीने में गोली मार दी। 11 अगस्त को उनका निधन हो गया| लेकिन देश उन्हें आज भी नही भूला|
अतिथि के रुप में जय जय कपूर के पौत्र मयूर कपूर नें कहा की रामनारायण आजाद देश के शीर्ष क्रन्तिकारी थे| सदर विधायक की पत्नी अनीता द्विवेदी, आजाद जी के पौत्र बॉबी दुबे, क्षत्रिय महासभा के प्रदेश सचिव अनिल प्रताप आदि ने विचार रखे| आदित्य दीक्षित, भूपेन्द्र प्रताप सिंह, रितेश शुक्ला, अरविन्द शुक्ला, संजय गर्ग , विश्वास गुप्ता, विकास गुप्ता, कुलभूषण, सरल दुबे आदि रहे|