त्रिपौलिया चौक पर पुनर्मिलन –
पूरे 15 वर्ष और 22 दिनों के बाद मुंशी हर दिल अजीज और मियाँ झांझ-झरोखे रविवार 7 मई 2011 को त्रिपौलिया चौक पर पुनः मिले| तब वह बिना चोकलेट खाए ही सुरेश और रमेश की तरह भाव-विभोर हो गए| भीडभाड भरे चौक में यह बेमौसम का भारत मिलाप देखकर लोग सन्नाटे में आ गए| दोनों एक-दूसरे से ऐसे मिल रहे थे जैसे लंबे वनवास के बाद मिले हों| दोनों ने बाबा की दुकान से अपनी पसंद का मीठा और तम्बाकू का पान खाया और चौक की ऐतिहासिक पटिया पर बैठकर बतियाने लगे|
मियाँ झांझ-झरोखे आंसू पोंछते हुए बोले क्या करते हो मिर्जा ? सब कुछ इतनी तेजी और झटके से हुआ कि कुछ करते ही नहीं बना| बजरिया में मान्यवर काशीराम की जनसभा की रिपोर्टिंग करके हंसी-खुशी लौट रहे थे| पता लगा कि हमारे बॉस ने हैवीवेट के आगे न झुककर अपने आप ही अपनी छुट्टी कर ली है| ऐसे में हम क्या करते? मन दुखी हो गया तुमसे बिना मिले ही चले गए|
मिर्जा भी दुखी मन से बोले तुम्हारी बात सही है मियाँ लेकिन हिम्मत हारकर बैठ गए तब तो फिर उनके ही मन हो जायेगी जो हमें मैदान से हटाना चाहते हैं| आओ फिर से सच्चे मन से अच्छे मन फिर नई शुरूआत करे| मिर्जा और मियाँ ने अपनी-अपनी पसंद का पान खाया और फिर पूरे उत्साह से यह गुनगुनाते हुए चले गए|
“ किसी को क्या पडी सोचे तुझे नीचा दिखाने को
तेरे आमाल काफी हैं तेरी हस्ती मिटाने को ”
पुन्नी का पुतला –
चुनाव की दुन्दभी अभी बजी नहीं है परन्तु मिशन 2012 को पूरा करने में लगे लोगों में जूतम-पैजार शुरू हो गई है| सबसे आसान काम है पुतला जलाने का- सो आनन् -फानन में अपने शहर अध्यक्ष का पुतला जलाया और फोटो भी खिंचा लिया| राजनैतिक विरोध का सबसे अच्छा तरीका है पुतला जलने का चाहे माया का जलाओ या मुलायम का और चाहें मनमोहन का या अपने पुन्नी शुक्ला का, परन्तु क्या कभी किसी ने अपने इलाके की पुलिस चौकी के हडकाऊ पैसा बटोरू प्रभारी के गलत कार्यों का विरोध करने की हिम्मत जुटाई| उससे तो खींसे निपोरकर हाँथ मिलाने में बड़े गौरव की अनुभूति होती है|
पुतला जलाने वालों जलाना ही है तो सबसे पहले अपनी स्वयं की कमियों और बुराईयों का पुतला जलाओ| कुंदन की तरह निखर जाओगे| बढ़े हुए आत्मविश्वास के बल पर बुरे को बुरा और भले को भला कहोगे| जब अमर्यादित आचरण करने वालों का विरोध करोगे तब तुम्हे लोग सराहेंगें, तुम्हारी मानेगें और तुम्हारे साथ चलने को तैयार होंगें|
मनोज की नगर पालिका-
नगर निकाय के चुनाव का आगाज होने को है| पूरे 5 साल का कार्यकाल हंसी-खुशी निपटा दिया मनोज अग्रवाल ने नगरपालिका अध्यक्ष के रूप में | मनोज के समर्थक और विरोधी भी कहते है कि अध्यक्ष जी ने गली कूंचों, मोहल्लों में पेवर ब्रिक लगाने और सामूहिक विवाह कराने का रिकार्ड बनाया है| अब विघ्न संतोषियों की क्या कहें जो रस ले लेकर 24 घंटों यह बताने में लगाते हैं कि ईंट कहाँ-कहाँ बनती है कौन बनाता है, कितनी कीमत और कितना कमीशन है ?
सामूहिक विवाह समारोहों में किस ठेकेदार का कितना योगदान रहता है और जाने क्या-2 ? अब इन विघ्न संतोषियों को यह कौन समझाए कि वोटों की विसात पर लगभग सभी बिकने को तैयार बैठे हैं| तब फिर मुंह में सोना डालकर बैठने से चुनावी संसाधन कहाँ से आयेंगें|
हमारी बिल्ली हमें से म्याऊं –
लंबे संग साथ के बाद कुत्ते को यह लगा कि उसने बिल्ली से सब दांवपेंच सीख लिए हैं| आदत के मुताबिक़ बिल्ली को दौड़ा लिया और बिल्ली पेड़ पर चढ़कर गुर्राने लगी| कुत्ता पूंछ उठाये पेड़ के चारों घूमने के अलावा कुछ नहीं कर सका|
विधान सभा के आगामी चुनाव में कुछ ऐसे रोचक मुकाबले भी संभावित हैं|
और अंत में –
बड़े-बड़े तीरंदाज टापते रह गए| बोर्ड परीक्षाओं में खुलेआम पैसा लेकर सामूहिक नक़ल कराने वाले टिकट लेकर अपना स्वयं का टिकट भी ( वोट ) कथित रूप बेंच लेने वाले कभी निर्दलीय, कभी सपाई, बसपाई बन जाने वाले दूसरों की सुबिधा के लिए अपनी सेटिंग करने वाले और जाने क्या-2 करने वाले अपने-अपने दलों के प्रत्याशी बन गए और कुछ की घोषणा होने वाली है|
ऊपर से तुर्रा यह है कि हाई कमान ने फतवा दे दिया कि स्वच्छ छवि वाले निष्ठावान लोगों को प्रत्याशी बनाया गया है| इसलिए सब कार्यकर्ताओं के एकजुट होकर जिताऊ प्रत्याशियों को जिताने के लिए लगना चाहिए| इसे कहते हैं जले पर नमक छिडकना|
हम कहते हैं जागो वोटर जागो, वोट डालना सीखो, सारी गंदगी साफ़ हो जायेगी|
(लेखक वरिष्ट पत्रकार के साथ वकील व समाजवादी चिंतक है)
प्रस्तुति-
सतीश दीक्षित (एडवोकेट)
1/432, आवास विकास कालोनी फर्रुखाबाद
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