सपा पूर्व प्रदेश सचिव की सुपारी देनें का मामला निकला फर्जी

FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) सपा के पूर्व प्रदेश सचिव की सुपारी देनें को लेकर एफआईआर दर्ज करायी गयी गयी थी| पुलिस की विवेचना में मामला असत्य पाया गया|
बीते 29 जुलाई को सपा के पूर्व प्रदेश सचिव डॉ० जितेन्द्र सिंह यादव नें थाना मऊदरवाजा में मुकदमा दर्ज कराया था कि पूर्व मंत्री नरेद्र सिंह व उनके पुत्र सचिन यादव उनसे राजनैतिक द्वेष मानते है| लिहाजा पूर्व मंत्री पुत्र के निजी सुरक्षा कर्मी अभिषेक प्रताप सिंह उर्फ एपी निवासी दुनाया नवाबगंज, आदिल निवासी ढिलावल मऊदरवाजा के खिलाफ सपा नेता नें एफआईआर दर्ज करायी| जिसमे कहा था कि उन्हें एक आडियो मिला जिसमे उनकी हत्या किये जानें का जिक्र है| आपस में बातचीत करने वालों के नाम उन्होंने अभिषेक व आदिल बताये| उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आडियो में सचिन यादव को कोठी पर हत्या की योजना बनाये जानें का जिक्र भी है| पुलिस नें मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को हिरासत में लेकर छानबीन शुरू की| लगभग 6 दिन चली पुलिस की जाँच में मामला फर्जी निकला| ना ही आरोपियों की आपस में बात होना पाया गया और ना ही सचिन यादव से उनकी कोई फोन पर वार्ता हुई| लिहाजा पुलिस ने दो आरोपियों भुल्लन व अभिषेक को शांति भंग में गिरफ्तार किया| जहाँ से उन्हें जेल भेज दिया गया| थानाध्यक्ष आमोद कुमार नें बताया कि आरोपियों का शांति भंग में चालान किया गया है|
पुलिस नें यह की विवेचना
पुलिस नें बताया कि विवेचना के क्रम में गहनता पूर्वक साक्ष्य संकलन करते हुये पाया गया कि नामित अभियुक्त का आपस में मोबाइल नम्बरो से वार्ता होना नहीं पाया गया। तथा आरोपी अभिषेक प्रताप उर्फ एपी की सचिन यादव के मोबाइल नम्बर पर व आदिल खान के मोबाइल नम्बर पर किसी प्रकार की बातचीत होने के प्रमाण नहीं मिले। ओडियो रिकार्डिंग के सुनने से नामित व्यक्ति आदिल, एपी की आवाज प्रमाणित नही हो रही है ना ही इस सम्बन्ध में एडवोकेट चन्द्रजीत सिंह के मोबाइल पर ओडियो रिकार्डिंग भेजने वाले भुल्लन से उसके बयान के मुताबिक कोई प्रमाण प्राप्त नही हुये| भुल्लन से उसका मोबाइल उपलब्ध कराने हेतु कहा गया तो उपलब्ध नहीं कराया और बताया कि मेरा मोबाइल कहीं गिर गया है। अब तक की तमामी विवेचना से घटना के सम्बन्ध में मात्र भुल्लन द्वारा अधिक शराब के नशे में बहककर बातचीत करना व किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ओडियो रिकार्डिंग कर लेना पाया गया जिसमें भय व संदेह के आधार पर डा0 जितेन्द्र सिंह द्वारा मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। अब तक की विवेचना से अपराध प्रमाणित नहीं हो रहा है आरोप असत्य पाये। जाने पर अभियोग की विवेचना जरिये अंतिम रिपोर्ट निरस्त की गयी।