बाढ़ राहत के नाम पर एक और घोटाला……

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फर्रुखाबादः विगत वर्ष गंगा और रामगंगा में आयी बाढ़ भले ही लाखों गरीबों के आशियानों, लहलहाती फसलों और ख्वाबों को अपने साथ बहा ले गयी हो। मगर इस बहाने राजस्व विभाग के कारिंदों की पो बारह जरूर हो गयी। बाढ़ से बर्बाद किसानों के लिये राहत के नाम पर शासन से आये अनुदान का जमकर बंदरबांट हुआ। भूमिहीनों और मृतकों तक के नाम बाढ़ राहत के चेक जारी होगये। भला हो सूचना अधिकार अधिनियम और इसका उपयोग कर जानकारी हासिल करने वाले जागरूक नागरिकों ने बमुश्किल तमाम प्रशासन से किसी प्रकार लाभार्थियों की सूची प्राप्त कर इस घोटाले को सामने लाने का प्रयास किया। परंतु इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी अभी भी अपनी ‘व्यस्तताओं’ का बहाना बना कर दोषियों को सजा देना तो दूर जांच तक पूर्ण करने से कतरा रहे हैं। आखिर हो भी क्यों न ‘……भाई चारा’ जो ठहरा।

अमृतपुर तहसील मुख्यालय में ही भूमिहीनों के नाम पर चेक बने

तहसील अमृतपुर विगत वर्ष की अभूतपूर्व भयानक बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र था। गंगा और रामगंगा के बीच स्थित इस क्षेत्र के लोगों के लिये दोनों निदयों की बाढ़ से बचने के लिये जान बचाकर भागने तक का रास्ता नहीं बचा था। हजारों घर और लाखो बीघा जमीन की फसलें बाढ़ के रैले के साथ बह गयी। इन हजारो गरीबों बेघरों की दुनिया भले ही उजड़ गयी हो परंतु बाढ़ राहत के नाम पर आये करोड़ो रुपये के बजट के बंदर बांट ने राजस्व विभाग के कारिंदों की जेबें जरूर गर्म कर दी। यह राहत या अनुदान धनराशि ऐसे लघु एवं सीमांत कृषकों को दी जानी थी जनकी 50 प्रतिशत या उससे अधिक की फसल का बाढ़ में नुकसान हो गया हो। परंतु यहां तो कमाल ही हो गया। बाढ़ राहत के चेक भूमिहीनों और मृतकों तक के नाम पर काट दिये गये। ज्यादा गंभीर बात यह है कि यह कारनामा तहसील अमृतपुर के मुख्याल के ग्राम में भी अंजाम दे दिया गया।

तहसील अमृतपुर के मुख्याल के ग्राम अमृतपुर के एक जागरूक नागरिक ने तहसील से सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत बाढ़ राहत के लाभार्थियों की सूची हासिल कर ली। यह तो खैर एक अलग कहानी है कि इस सूची को प्राप्त करने के लिये भी बेचारे आवेदक को क्या क्या पापड़ बेलने पड़े। परंतु जब सूची सामने आयी तो खुलासा हुआ कि दर्जनों भूमिहीनों, मृतकों और बाहरी व्यक्तियों के नाम चेक जारी किये गये हैं। इससे पूर्व इसी प्रकार का एक मामला अमृतपुर के ही ग्राम बली पट्टी रानी गांव का भी सामने आ चुका है। अपर जिलाधिकारी सुशील चंद्र ने इस मामले में तहसीलदार अशोक कुमार सिंह चंद्रौल से विगत माह आख्या मांगी थी। आख्य तीन दिन में  दिये जाने के निर्देश दिये गये थे। परंतु लगभग दो सप्ताह बाद भी एडीएम को यह रिपोर्ट नहीं मिली है। इस नये खुलासे के बाद शुक्रवार को अपर जिलाधिकारी से पूछने पर उन्होंने बताया कि अभी पुराने मामले में ही तहसीलदार की आख्या नहीं आयी है। इस संबंध में भी अलग से जांच कराई जायेगी।

सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त की गयी सूची में संम्मिलित भूमिहीन—-

बबलू S/0 गोबर्धन , बैजनाथ S/0 सुन्दरलाल , राजेश S/0 रामशंकर , अजय S/0 राधेश्याम , राजेश S/0 राधेश्याम , नीतू S/0 राधेश्याम , रवींद्र S/0 आत्माराम , रोली w/o अमित कुमार , सुनीता w/o बालमुकुंद, रमन w/o महेंद्र, मांडवी w/o आलोक , चंद्र शेखर S/0 राज नरायन , अटल S/0 रामसेवक , रघुराई S/0 जदुराम , अलका w/o विपिन , श्याम मनोहर S/0 रामसेवक , वर्षा w/o रवींद्र , उर्षा w/o विजेंद्र , प्रीती w/o राममनोहर , सीमा w/o राम बाबू , आशा w/o मुन्नूलाल , विजेन S/0 राम बहादुर , नरायन स्वरुप S/0 हरिनंदन , शिवस्वरूप S/0 हरिनंदन , कल्याण S/0 तिलक्का , अंजना w/o श्याम मनोहर , राम मनोहर S/0 रामसेवक , अशोक S/0 प्रयाग , नरेश S/0 प्रीतम लाल , अंजू w/o रवींद्र कुमार , आलोक कुमार S/0 घनश्याम , सुआलाल S/0 रघुवर , शेष कुमार S/0 राम दुलारे , अजय कुमार S/0 राधेश्याम , सचिन S/0 फूलचंद्र , रामनाथ S/0 प्रयाग

दोहरा नाम

छोटेलाल S/0 हर प्रसाद, विनोद S/0 ग्रीष चंद्र , हरिशरण सिंह S/0 विश्वनाथ , प्रभु शरण S/0 विश्वनाथ , कुलदीप सिंह S/0 विश्वनाथ ,सुरेश सिंह S/0 विश्वनाथ , लक्ष्मी सिंह S/0 विश्वनाथ , छोटे सिंह S/0 महावीर , छोटेलाल S/0 हरिप्रसाद

बाहरी व्यक्ति

उर्मिला w/o कुंठ बिहारी , देवदत्त S/0 श्री राम , हरिनंदन लाल S/0 राम शरण , करुणेश S/0 चंद्र प्रकाश, ग्रीष चंद्र S/0 प्यारेलाल , शिव कुमारी w/o श्री कृष्ण

मृतक

मुन्नी देवी w/o रामस्वरूप – मृतक २ साल पूर्व , राजेन्द्र S/0 ओम प्रकाश – मृतक ४ साल पूर्व , पातीराम S/0 राम सहाय – मृतक ५ साल पूर्व , हरिबाबू S/0 रामरूप – मृतक तीन साल पूर्व