डेस्क:अस्पतालों में दिनरात मरीजों और अन्य जरूरतमंदों की टहल में कोई निरंतर व्यस्त पाया जाता है तो वह नर्स है। बीमारी या अन्य आपदा से जूझते उन मरीजों की तकलीफ की साक्षी बनना एएनएम,मिडवाइफ सहित देश की 30 लाख नर्सों की रोज की नियति है। कोरोना के विश्वव्यापी प्रकोप से बचाव कार्य में विश्वभर की नर्सों ने जो सराहनीय भूमिका निभाई उसके लिए मानवजाति उनकी ऋणी है।डाक्टरों और धर्मगुरुओं की श्रेणी में आने वाली प्रशिक्षित नर्स मानवजाति के लिए सबसे बड़ा वरदान है।आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लारेंस नाइटिंगेल को श्रद्धांजलि स्वरूप उनकी जयंती 12 मई के दिन को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हें लेडी विद लैंप की संज्ञा दी गई है। इस दिन के मुख्य समारोह अंतरराष्ट्रीय नर्स परिषद के तत्वाधान में संपन्न होते हैं। इस दिन देश में राष्ट्रपति उत्कृष्ट सेवाओं के लिए कुछ नर्सों को राष्ट्रीय फ्लारेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रदान करते हैं।